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हल्द्वानी में जोहार महोत्सव का समापन, नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों पर थिरके लोग

हल्द्वानी में आयोजित 2 दिवसीय जोहार महोत्सव का समापन (Johar Festival concludes) हो गया है. समापन के मौके पर लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों पर लोग जमकर थिरके. जोहार महोत्सव का आयोजन चीन (तिब्बत) की सीमा से सटे सीमांत मुनस्यारी क्षेत्र के जोहार घाटी के लोग अपनी संस्कृति को बचाने के लिए करते हैं.

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Published : Oct 31, 2022, 10:47 AM IST

हल्द्वानी: नैनीताल के हल्द्वानी में 2 दिवसीय जोहार महोत्सव का देर रात रंगारंग कार्यक्रमों के साथ समापन (Johar Festival concludes in Haldwani) हुआ. चीन (तिब्बत) की सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले के सीमांत मुनस्यारी क्षेत्र के जोहार घाटी के रहने वाले वाशिंदे जिन्हें शौका के नाम से भी जाना जाता है, के द्वारा हल्द्वानी में जोहार महोत्सव का आयोजन कराया जाता है.

जोहार घाटी की शौका लोक संस्कृति के साथ इस महोत्सव की रंगारंग प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया. चीन (तिब्बत) सीमा से सटे सीमांत क्षेत्र के सरकारी व गैर सरकारी सेवाओं में बड़े बड़े पदों पर आसीन जोहार घाटी के शौकाई इस दो दिवसीय जोहार महोत्सव में दूर दूर से शिरकत करने आते हैं.

जोहार महोत्सव में छा गए नरेंद्र सिंह नेगी

उनके मुताबिक जोहार घाटी की संस्कृति को बचाने और उसको संजोए रखने के लिए इस आयोजन को हर वर्ष किया जाता है. जिससे आने वाली नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचय के साथ ही अपनी संस्कृति को बचाने और अपनी धरोहर को संजोए रखा जा सके.

वहीं, देर रात गढ़ रत्न लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी (Folk Singer Narendra Singh Negi) ने जोहार महोत्सव में धूम मचाई. नरेंद्र सिंह नेगी के नंदा राजजात पर गाए गाने 'जय भोला जय भगवती', गंगा और ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़ौ कौ पानी ठंडो की धुनों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. नरेंद्र सिंह नेगी कुमाऊं और गढ़वाल की संस्कृति को अपनी गायकी से साधने में सफल रहे.
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जोहार समिति के सचिव नवीन टोलिया ने महोत्सव की अपार सफलता के लिए जनता का आभार जताया और कहा कि अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाने में ऐसे कार्यक्रम एक नई ऊर्जा को संचारित करते हैं. अब जोहार महोत्सव भले ही जोहरी संस्कृति की पहचान है, स्थानीय लोगों की भागीदारी को देखते हुए लगता है कि इस महोत्सव को एक नई पहचान मिलेगी.

उधर स्थानीय कलाकारों ने भी जोहार महोत्सव को सराहा. उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े आयोजनों से स्थानीय कलाकारों को भी मंच मिलता है, जिससे उनकी प्रतिभा को निखारने का मौका मिलता है. साथ ही अपनी संस्कृति को एक नई पहचान भी मिलती है.

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