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तनुजा बदल रही महिलाओं की माली हालत, बना रहीं आत्मनिर्भर - अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस

कल्याणी महिला समिति के माध्यम से हल्द्वानी की शिक्षिका तनुजा मेलकानी ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों से जोड़कर रोजगार दे रही हैं. इस संस्था में महिलाओं द्वारा बनाये गए उत्पादों की देश-विदेश में मांग रहती है. साथ ही इस संस्था में गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा भी दी जाती है.

International Rural Women's Day.

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Published : Oct 14, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 6:31 AM IST

हल्द्वानी:हौसले और जुनून, हिम्मत न हारने का जज्बा लोगों को अक्सर दूसरों से अलग बनाता है. चाहे रास्तों में कितनी ही बाधाएं क्यों न आएं लक्ष्य हासिल करना ही तो जिंदगी कहलाती है. जी हां हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी निवासी तनुजा मेलकानी की. जिनकी अनूठी पहल से कई ग्रामीण महिलाओं के सपने पूरे हो रहे हैं. पेशे से तनुजा मेलकानी शिक्षिका हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार से जोड़ रही हैं. साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाकर उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत को भी बचाने का काम कर रही हैं.

शिक्षिका बनी ग्रामीण महिलाओं के लिए खेवन हार.

बता दें कि हल्द्वानी के लामाचौड़ ग्राम निवासी तनुजा मेलकानी हल्द्वानी स्थित एमबीपीजी कॉलेज में प्रोफेसर हैं, जो समाज के प्रति अपना दायित्व समझते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने का काम कर रहीं हैं. कल्याणी महिला समिति के नाम से तनुजा मेलकानी की एक संस्था है, जिसमें तनुजा असहाय महिलाओं, और गरीब बच्चों को सहारा देकर उनके लिए न सिर्फ उम्मीद की किरण जगा रही हैं, बल्कि उनको सक्षम और समाज में सम्मानजनक दर्जा भी दे रहीं हैं.

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तनुजा मेलकानी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही समाज सेवा करने की तमन्ना थी. बीते 4 साल पहले उनके पास कुछ महिलाएं आईं और उनसे रोजगार की मांग की. जिसके बाद उनके मन में आया कि इन महिलाओं को क्यों न स्वरोजगार से जोड़ा जाए. जिसके बाद उन महिलाओं के साथ उन्होंने महिला कल्याण समिति नाम से संस्था खोली, जहां महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ने का संकल्प लिया. उन्होंने बताया कि आज संस्था में करीब 30 महिलाएं हैं. जो सिलाई-कढ़ाई और बुनाई के साथ-साथ अन्य रोजगारों से जुड़ी हैं. संस्था में कार्यरत महिलाएं पूरे साल आने वाले त्योहारों के सीजन में अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार कर बाजारों में सप्लाई करती हैं.

दीपावली और शादियों के सीजन में महिलाएं उत्तराखंड की पारंपरिक रंगीली-पिछौड़ा, कुमांउनी बड़ी और कई पहाड़ी उत्पाद तैयार कर दिल्ली, देहरादून और मुंबई सहित विदेशों में भी सप्लाई कर रहीं हैं. साथ ही तनुजा मेलकानी ने बताया कि संस्था का लेखा-जोखा और देखभाल भी यहां कार्यरत महिलाओं द्वारा ही किया जाता है. साथ ही महिला कल्याण समिति संस्था द्वारा असहाय और गरीब बच्चों को भी निःशुल्क शिक्षा दी जाती है.

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वहीं संस्था में कार्यरत महिलाओं ने बताया कि पहले उनके पास कोई भी आमदनी का जरिया नहीं था,लेकिन संस्था से जुड़ने के बाद से पार्ट टाइम के तहत हर महीने वो 5000 रुपये तक कमा लेती हैं.

Last Updated : Oct 15, 2019, 6:31 AM IST

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