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लालकुआं में तैयार किया गया देश का पहला पब्लिक हेल्थ गार्डन, जानें खूबियां

लालकुआं में देश का पहला पब्लिक हेल्थ गार्डन (Country first public health garden in Lalkuan) तैयार किया गया है. इस पब्लिक हेल्थ गार्डन में 240 औषधीय पौधों (240 medicinal plants in Public Health Garden) को संरक्षित किया गया है. साथ ही पब्लिक हेल्थ गार्डन में आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं.

Country first public health garden in Lalkuan
लालकुआं में तैयार किया गया देश का पहला पब्लिक हेल्थ गार्डन

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Published : Dec 11, 2022, 4:15 PM IST

Updated : Dec 12, 2022, 9:45 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Uttarakhand Forest Research Center) जैव विविधता के क्षेत्र में कई उपलब्धियों के लिए देश दुनिया में पहचान बना चुका है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र ने लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र में देश का पहला (जन स्वास्थ्य वाटिका) पब्लिक हेल्थ गार्डन तैयार किया है. इस पब्लिक हेल्थ गार्डन में 240 से अधिक संरक्षित और विलुप्त प्रजातियों के औषधीय पौधों को संरक्षित करने का काम किया गया है. इस वाटिका में जन स्वास्थ्य से जुड़े औषधि पौधों के बारे में भी लोगों को जानकारी दी जा रही है.

लालकुआं में तैयार किया गया देश का पहला पब्लिक हेल्थ गार्डन

वाटिका में आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की मूर्तियां भी स्थापित की गई है, जिससे लोग आयुर्वेद की प्रेरणा ले सकें. वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया जायका योजना के तहत लालकुआं नर्सरी में करीब 3 हेक्टेयर में पब्लिक हेल्थ गार्डन किया स्थापना की गई है. इसका मकसद लोगों को आयुर्वेद के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना है. उन्होंने कहा आयुर्वेद में औषधीय पौधों का बड़ा ही अपना महत्व है. 240 से अधिक विलुप्त प्रजातियों के पेड़ पौधों को संरक्षित करने का काम किया है, जो औषधि से भरपूर है. यहां बनाया गया पब्लिक हेल्थ गार्डन देश का पहला ऐसा गार्डन है जहां एक साथ इतनी प्रजातियों के पेड़ पौधों को एक साथ संरक्षित करने का काम किया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कौन सी बीमारी में कौन से पौधों का अपना महत्व है इसके बारे में भी यहां जानकारी दी गई है. शरीर के विभिन्न अंगों को स्वस्थ रखने के लिए कौन सी औषधि पौधों की आवश्यकता पड़ती है, इसकी भी जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया अनुसंधान केंद्र की इस वाटिका में हरसिंगार, पारिजात, हड़जोड़, मेदा, लेमन ग्रास, आंवला, अर्जुन, वज्रदंती, भृंगराज, चिरायता, गोरखू, धृत कुमारी, कासनी, ब्राम्ही सहित 240 से अधिक प्रजातियों के पौधे को संरक्षित करने का काम किया गया है.

Last Updated : Dec 12, 2022, 9:45 PM IST

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