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खटीमा में वक्फ की जमीन पर अवैध दुकानों का मामला, HC ने एक्शन टेकन रिपोर्ट किया तलब - मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट

खटीमा में वक्फ की जमीन पर अवैध दुकानों के आवंटन के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब किया है. खटीमा निवासी शादाब रजा ने जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Nov 24, 2021, 5:03 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट ने खटीमा में वक्फ बोर्ड की भूमि पर कमेटी द्वारा अवैध दुकानों के निर्माण करने पर एसडीएम की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ ने मामले को सुनने के बाद वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर 22 दिसंबर तक यह बताने को कहा है कि एसडीएम की जाच रिपोर्ट पर अभी तक क्या कार्रवाई की गई है. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

खटीमा निवासी शादाब रजा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि खटीमा में जामा मस्जिद एवं रहमानिया मदरसा जो वक्फ बोर्ड की भूमि है. उस पर वक्फ बोर्ड की कमेटी द्वारा 34 दुकानों का निर्माण करके अपने ही लोगों को आवंटित कर दी गई है. जबकि वक्फ बोर्ड ने कहा था कि बोर्ड की भूमि पर जो भी निर्माण कार्य किया जाएगा, वह बोर्ड के एक्ट के आधार पर किया जाएगा और इसकी सूचना बोर्ड को देंगे.

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दुकानों का एलॉटमेंट करने के लिए दो समाचार पत्रों में विज्ञप्ति भी जारी करेंगे. लेकिन, कमेटी द्वारा इसकी कोई सूचना नहीं दी गई. दुकानों के आवंटन करने हेतु एक ही पेपर में विज्ञप्ति जारी की गई थी और जिस दिन यह विज्ञप्ति छपी उस दिन उस पेपर के सारे प्रतियां कमेटी ने स्वयं ही खरीद ली, ताकि किसी को पता न चल सके की दुकानों का आवंटन हो रहा है.

ये सारी दुकानें कमेटी ने अपने ही लोगों से पैसे लेकर दुकानें आवंटित कर दी. जब इसकी शिकायत जिला अधिकारी से की तो उन्होंने इसकी जांच एसडीएम से कराई जांच में दो से ढाई करोड़ रुपये का घोटाला पाया गया. जांच में यह भी कहा गया कि कमेटी के अधिकतर सदस्य ऐसे हैं, जिनपर आपराधिक मुकदमे भी चल रहे हैं. जबकि वक्फ एक्ट के अनुसार ऐसे लोग कमेटी के सदस्य नहीं हो सकते हैं. रिपोर्ट जब वक्फ बोर्ड देहरादून को भेजी गई तो बोर्ड ने कमेटी को भंग कर एसडीएम को प्रशासक नियुक्त कर दिया था. कुछ समय बाद बोर्ड ने अपना यह आदेश राजनीतिक दबाव में आकर वापस ले लिया तथा कमेटी को फिर से बहाल कर दिया.

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