नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में 28 सितंबर को चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर सुनवाई हुई. संजीव चतुर्वेदी ने कोर्ट में कहा कि उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के वकीलों पर विश्वास नहीं है, इसलिए उन्हें अपने मामले की स्वयं पैरवी (इन पर्सन) की अनुमति दी जाए. दरअसल, चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर कैट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई कैट की नैनीताल सर्किट पीठ कर रही थी. बाद में उस पीठ ने केस को दिल्ली रेफर कर दिया. इसे संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मामले की सुनवाई नैनीताल में ही करने की अपील की थी.
कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद उन्हें अपने मामले की पैरवी करने की अनुमति देते हुए इस मामले की सुनवाई की अगली की तिथि 23 अक्टूबर तय की है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई.
वकीलों पर नहीं भरोसा:इस मामले में पैरवी के लिए संजीव चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में सीनियर और जूनियर अधिवक्ता नियुक्त किए थे, लेकिन, पिछले दिनों उन्होंने हाईकोर्ट में 'हाईकोर्ट ऑफ उत्तराखंड पार्टी इन पर्सन रूल्स 2020' के तहत अपने मामले की पैरवी स्वयं करने का प्रार्थना पत्र दिया, जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने संजीव चतुर्वेदी से पूछा कि उन्होंने पहले से ही सीनियर व जूनियर अधिवक्ता नियुक्त किए हैं तो ऐसे में वो क्यों इन-पर्सन क्यों आना चाहते हैं. यदि उन्हें दूसरे सीनियर अधिवक्ता की आवश्यकता है तो हाईकोर्ट उन्हें उपलब्ध कराएगा.