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बाघों के गलियारों में 'रोड़ा' बने होटल और रिसॉर्ट, बढ़ा मनुष्यों और वन्यजीवों का संघर्ष - रामनगर न्यूज

बाघों के अस्तित्व पर पहले से ही खतरा मंडराया रहा है. ऐसे में बाघों के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, कॉर्बेट लैंडस्केप एरिया में कई होटलों और रिसॉर्ट के निर्माण के चलते बाघों को कोसी नदी में पानी पीने के का रास्ता बदलना पड़ा है.

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Published : Jun 2, 2020, 7:23 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 8:08 PM IST

रामनगरः प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के लैंडस्केप एरिया में लगातार बन रहे होटल और रिसॉर्ट्स के कारण बाघों का कोसी नदी में पानी पीने के लिए जाने का गलियारा (रास्ता) संकट में है. ऐसे में बाघों को कोसी नदी में जाने के लिए पास के सटे गांव से होकर गुजरना पड़ रहा है. जिसके चलते बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है. इस संघर्ष में कभी-कभी दोनों की ही जान चली जाती है.

बाघों के गलियारों में संकट.

आंकड़े के मुताबिक, तराई पार्क लैंडस्केप में करीब 18 बाघ पानी पीने के लिए गलियारों का इस्तेमाल करते थे. लेकिन होटलों के निर्माण के बाद कोसी नदी में जाने का रास्ता बंद हो गया है. जिससे बाघों को अपना रास्ता गांव से होकर बनाना पड़ा है. माना जा रहा है कि होटलों और रिसॉर्ट्स के निर्माण पर लगाम न लगाई गई तो बाघों का कोसी नदी में आजादी से घूमना बाधित हो जाएगा.

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बाघ और इंसान के बीच संघर्ष बढ़ने का असर सीधे कॉर्बेट पार्क की जैव विविधता पर पड़ेगा. जिसे लेकर वन्य जीव प्रेमी भी चिंतित हैं. उनका कहना है कि ऐसे ही होटलों और रिसॉर्ट्स का अवैध निर्माण होता रहा तो निश्चित तौर पर बाघों का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा. लिहाजा, इन्हें बचाने के उपाए ढूंढें जाए और अवैध होटलों व रिसॉर्ट्स का ध्वस्तीकरण किया जाए.

वहीं, कॉर्बेट के लैंड स्केप एरिया में बसे सुंदर खाल गांव के ग्राम प्रधान का कहना है कि यहां के निवासियों का जीवन काफी संकट में है. बाघों के खतरे को देखते हुए लोग शाम के 6 बजते ही अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं. अब तक बाघों ने गांव की नौ महिलाओं को अपना शिकार बनाया है. ऐसे में उनके ऊपर लगातार खतरा मंडरा रहा है.

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उन्होंने कहा कि जब से होटलों और रिसॉर्ट का निर्माण हुआ है, तब से बाघों ने कोसी नदी में पानी पीने के लिए अपना रास्ता सुंदर खाल गांव से बना लिया है. क्योंकि, जो रास्ता बाघों के लिए कोसी नदी में जाने का था, वो रिसॉर्ट बनने के बाद बंद हो गया है. उन्होंने कहा कि अब सुंदर खाल के लोगों के ऊपर हमेशा बाघों का खतरा मंडराया रहता है. जबकि, उनकी शिकायत कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है.

वहीं, कॉर्बेट प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि वन्यजीव के कोरिडोर्स में कहीं-कहीं इसका असर पड़ा है. जिससे बाघ गांवों की ओर रूख कर रहे हैं. बहरहाल, कॉर्बेट पार्क के अधिकारी इन होटलों और रिसॉर्ट को बनने से क्यों नहीं रोक पा रहे हैं, यह बड़ा सवाल बना हुआ है. जबकि, ग्रामीण दहशत में जीने को मजबूर हैं.

Last Updated : Jun 2, 2020, 8:08 PM IST

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