नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के बार-बार आदेश देने के बाद भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जाने के मामले पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार से 26 मई तक प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अगली सुनवाई हेतु 26 मई की तिथि नियत की है.
आज सुनवाई के दौरान गृह सचिव आरके सुधांशु व्यक्तिगत रूप से और एसएन पांडे वित्त सचिव व राजेन्द्र सिंह सचिव न्याय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए. गृह सचिव द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने नैनीताल व देहरादून की निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 4 करोड़ रुपये के प्रपोजल न्याय विभाग को भेज दिए हैं. जिसके लिए वित्त विभाग की सहमति लेनी आवश्यक है. उसके बाद इसमें शासनादेश जारी होकर टेंडर प्रक्रिया होगी.
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि जिला जज देहरादून ने एक पत्र सरकार को इस आशय से प्रेषित किया है कि अभी उनकी न्यायालयों में सीसीटीवी कैमरे न लगाए जाएं. क्योंकि अभी वहां न्यायालय का निर्माण कार्य चल रहा है और सरकार का पैसा बर्बाद हो जायेगा. जिस पर कोर्ट ने कहा कि जिस न्यायालय में याचिकाकर्ता का केस चल रहा है, तब तक उस न्यायालय में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई.
मामले के अनुसार देहरादून निवासी प्रद्युम्न बिष्ट ने याचिका दायर कर कहा था कि वे निचली अदालत में अपने केस की पैरवी स्वयं कर रहे हैं. लेकिन विपक्षी के पिता उस न्यायालय में वकालत करते हैं और इस केस की भी पैरवी वे स्वयं करते हैं. यह मामला दहेज से जुड़ा हुआ है. ट्रायल के दौरान कई बार वे अंदर जाकर बयानों को बदलवा देते हैं. इसलिए उनके बयान सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में दर्ज कराए जाएं. 2014 में उच्च न्यायालय ने उनकी इस याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि अभी इस सम्बन्ध में कोई कानून बना नहीं है.