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कल है होलिका दहन, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त - News Haldwani

हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि यानि होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है.

holika dahan
सूर्यास्त से रात्रि 08: 40 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

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Published : Mar 8, 2020, 2:24 PM IST

Updated : Mar 8, 2020, 5:47 PM IST

हल्द्वानी:इस बार 9 मार्च यानि सोमवार को होलिका दहन और 10 मार्च मंगलवार को छड़डी यानी रंगोत्सव का पर्व मनाया जाएगा. हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है. रंग उत्सव से एक दिन पूर्व रात्रि के वक्त होलिका दहन किया जाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 9 मार्च को पूर्णमासी है और भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाता है. ऐसे में होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 9 मार्च शाम 6:15 से लेकर रात 8:40 के बीच होगा.

सूर्यास्त से रात्रि 08: 40 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, होलिका दहन का आयोजन बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है. होली का त्योहार समाज में फैली बुराइयों को खत्म करने का प्रतीक है. होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में एक त्यौहार हैं और इसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. इस बार की होली में सैकड़ों वर्ष बाद कई संयोग बने हैं. नवीन चंद्र जोशी आगे बताते हैं कि बृहस्पति धनु राशि में विराजमान है. जबकि शनि मकर राशि में विराजमान है. सूर्य कुंभ राशि में जबकि राहु मिथुन राशि में विराजमान है. ऐसे में इस बार होली देश और प्रदेश के लिए सुख शांति लेकर आएगी.

होलिका दहन के पूजा का विधि
होलिका दहन से पूर्व घर की महिलाओं को अपनी पारंपरिक वेशभूषा में होलिका माता का पूजन करना चाहिए. गोबर की बनी होलिका की माला, रोली, गंध पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी और मिठाइयों के साथ होलिका की पूजा करना फलदायी है. इससे परिवार में सुख शांति आती है.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप अपनी प्रजा को यह संदेश दिया करता था कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर की पूजा न करें. बल्कि उसे ही अपना आराध्य और भगवान माने. लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था. उसने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना की और भगवान की भक्ति जारी रखी. ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को दंड देने की ठान ली. उसने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठा दिया. इसके बाद उन दोनों को अग्नि के हवाले कर दिया. दरअसल, होलिका को ईश्वर से ये वरदान था कि उसे अग्नि कभी नहीं जला सकती. लेकिन दुराचारी का साथ देने के कारण होलिका भस्म हो गई और सदाचारी ईश्वर भक्त प्रह्लाद बच गए. तभी से बुराइयों को जलाने के लिए होलिका दहन का आयोजन किया जाता है.

Last Updated : Mar 8, 2020, 5:47 PM IST

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