मार्केट में बुआजी का अचार मचा रहा धमाल हल्द्वानी: अचार का नाम सुनकर हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. आपने अचार तो बहुत खाया होगा, लेकिन हम आपको उत्तराखंड के नैनीताल जिले के काठगोदाम की स्थिति बुआजी के अचार के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां आम के कई प्रकार के अचारों के साथ ही मशरूम, तिमूल,लिंगुड़ा का भी अचार बनाया जाता है. बुआजी का आचार उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है. जहां ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी बुआजी का अचार उपलब्ध है.
महिलाओं को मिल रहा रोजगार मार्केट में पहचान बना चुका अचार:काठगोदाम के रानीबाग के रहने वाली प्रीति रिंनवी एमए बीएड करने के बाद टीचिंग की नौकरी छोड़ अपने बुआजी से प्रेरणा स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही हैं. पहले उन्होंने बुआजी मशरूम नाम से मशरूम की खेती की शुरुआत की. जिसके बाद अपने समूह में आसपास की महिलाओं को जोड़ते हुए पहाड़ के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अचार के साथ अन्य उत्पाद भी बनाने शुरू किए. आज बुआजी मशरूम के प्रोडक्ट उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों में अपनी पहचान बना चुकें हैं.
अचार की मार्केट में भारी मांग पढ़ें- रुद्रप्रयाग की मशरूम गर्ल बबीता, बीमार पिता की मदद को थामा हल, बंजर जमीन पर उगाया 'सोना' पारंपरिक गीतों के साथ बनाया जाता है अचार:समूह द्वारा सबसे अधिक मात्रा में अचार तैयार किया जाता है. जहां समूह की महिलाएं पारंपरिक पहाड़ी गीतों को गाते हुए अचार को तैयार करती है. अचार बनाने के और पैकेजिंग के दौरान पूरी तरह से साफ सफाई का ध्यान भी रखा जाता है. समूह द्वारा तैयार किया गया अचार पूरी तरह से ऑर्गेनिक है. इसमें पड़ने वाला मसाला हाथों से सिलवट्टे पर पीस कर तैयार किया जाता है.
महिलाओं द्वारा आम,कटहल,नींबू, लहसुन, करेला, मिक्स अचार के साथ-साथ पहाड़ के तिमूल, लिंगूड़ा के अचार के अलावा सभी प्रकार के अचार तैयार किया जाता है. इसके अलावा लहसुन मिर्च नून,भांग पीसी नून,अलसी पीसी नून,धनिया पीसी नून, पुदीना पीसी नून और मशरुम बड़ी,खीरा बड़ी,मूली बड़ी,लॉकी बड़ी के अलावा पहाड़ के अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं.
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इनसे मिली आगे बढ़ने की प्रेरणा: बुआजी मशरूम समूह के ऑनर प्रीति रिंनवी ने बताया कि उनकी बुआ का नाम बसंती देवी था. बुआजी आसपास के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए जानी जाती थी. उनकी बुआ बसंती देवी जंगलों से करी पत्ता तोड़कर लाती थी, जहां समूह के महिलाओं के साथ करी पत्ता बाजारों में उपलब्ध कराती थी. लेकिन कोरोनाकाल में उनका निधन हो गया. ऐसे में बुआजी के सपने को आगे बढ़ाने के लिए बुआ जी मशरूम नाम से दो साल पहले ओएस्टर मशरूम की खेती शुरू की. जिसके बाद महिलाओं के समूह द्वारा अचार को मार्केट में उतारने की तैयारी की. जिससे पहाड़ के खानपान की पहचान के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.