नैनीतालः कौसानी के चाय बागान को बंद करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 3 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
जानकारी देते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीके जोशी. बता दें कि, कौसानी निवासी कृष्ण चंद्र सिंह खाती ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कौसानी के चाय बागान राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम था. जिसे सरकार, कुमाऊं मंडल विकास निगम और बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर चलाती थी. जिसमें प्राइवेट कंपनी की 11 फीसदी भागीदारी थी.
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इस बागान में कौसानी और आसपास के 300 हेक्टेयर भूमि पर हरी चाय पत्ती का उत्पादन किया जाता था. जिसमें करीब 30 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन उत्तराखंड टी बोर्ड और उत्तरांचल टी कंपनी के तालमेल की कमी के कारण सरकार ने साल 2014 में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया. जिसकी वजह से फैक्ट्री के कर्मचारी बेरोजगार हो गए.
वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि बेंगलुरु की गिरियाज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ऊपर चाय बागान का करीब 44 लाख रुपये का बकाया है. जिसे लेने के लिए भी राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही. साथ ही कहा कि फैक्ट्री बंद होने की वजह से कौसानी और उसके आस-पास के चाय बागान की चाय पत्ती के उत्पादन में असर पड़ा है. राजस्व की भी हानि भी हुई है.
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इतना ही नहीं पर्यटन, पलायन संबंधी समस्याओं से भी क्षेत्र को जूझना पड़ा है. क्योंकि, जब से क्षेत्र में टी गार्डन बंद हुए इस क्षेत्र में पर्यटको ने आना बंद कर दिया है. पहले गार्डन को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन अब पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इसी कड़ी में मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, सचिव उद्यान अध्यक्ष, उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड, निदेशक चाय विकास बोर्ड, टी बोर्ड इंडिया समेत महाप्रबंधक उत्तरांचल टी कंपनी को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.