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उत्तराखंड में रैगिंग पर हाईकोर्ट सख्त, दो हफ्ते के भीतर जिला निगरानी समिति गठित करने के आदेश - हल्द्वानी रैगिंग मामला

हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज में 27 छात्रों के साथ रैगिंग का मामला काफी सुर्खियों में रहा था. अब नैनीताल हाईकोर्ट ने भी रैगिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए उच्च शिक्षण संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग को रोकने को कहा है. इसके लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में दो हफ्ते के भीतर जिला निगरानी समिति गठित करने के आदेश दिए हैं. साथ ही प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग सेल बनाने को भी कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Mar 21, 2023, 10:23 PM IST

नैनीतालः सूबे के उच्च शिक्षण संस्थानों, व्यावसायिक और मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग को रोकने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला निगरानी समिति गठित करने के निर्देश सरकार को दिए हैं. इसके अवाला सभी विश्वविद्यालयों में एंटी रैगिंग सेल गठित करने को कहा है. हाईकोर्ट ने रैगिंग रोकने को लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए कई दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इन निर्देशों का पालन करना प्रत्येक संस्थान के मुखिया की जिम्मेदारी होगी. साथ ही कहा है कि यदि किसी संस्थान में रैगिंग की शिकायत मिलती है तो इसके लिए उस संस्थान का मुखिया जिम्मेदार होगा.

दरअसल, 21 मार्च को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज के 27 छात्रों के साथ रैगिंग किए जाने के खिलाफ दायर सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई की. दायर याचिका में कहा गया है कि राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में 27 छात्रों का सिर मुड़वाकर कर उनके साथ रैगिंग की गई. उनके पीछे बकायदा एक सुरक्षा गार्ड भी चल रहा था. हालांकि, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन का कहना था कि उनके पास रैगिंग से जुड़ी शिकायत नहीं आई.
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि वायरल वीडियो में 27 छात्र एक लाइन में खड़े सिर मुड़वाए हुए हैं. सभी के हाथ पीछे की ओर हैं. जबकि, एक गार्ड उनके पीछे तालिबानी स्टाइल में खड़ा हुआ है. ताकि, कहीं छात्र भाग न जाएं. कहीं भी रैगिंग करना सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के खिलाफ है. समाचार पत्रों में छपी खबर और वायरल वीडियो के जरिए पता चला कि ये सभी छात्र एमबीबीएस प्रथम वर्ष के थे.

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सीनियर छात्रों ने इन प्रथम वर्ष के सभी छात्रों के बाल कटवाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद इसे रैंगिंग से जोड़कर देखा जा रहा है. छात्रों के बाल काटने के मामले में कॉलेज प्रबंधन की ओर से कहा जा रहा है कि छात्रों के सिर में डेंड्रफ और जूं पड़ गए थे. इसलिए इनके बाल मुड़वा दिए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से वायरल वीडियो को कोर्ट में दिखाया गया था.
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