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चिदानंद मुनि वन भूमि अतिक्रमण मामले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

चिदानंद मुनि द्वारा ऋषिकेश के वीरपुरखुर्द वीरभद्र में किए गए अतिक्रमण पर नैनीताल हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

Nainital High Court
Nainital High Court

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Published : Oct 13, 2020, 1:25 PM IST

नैनीताल: ऋषिकेश के वीरपुरखुर्द वीरभद्र के निकट परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष चिदानंद मुनि द्वारा 35 बीघा वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण पर नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि चिदानंद ने वन भूमि से अतिक्रमण को हटाया गया है या नहीं.

मामले में आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने बताया कि चिदानंद मुनि अतिक्रमण हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं दी. वापस नैनीताल हाई कोर्ट भेज दिया. पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि चिदानंद द्वारा किए गए अतिक्रमण को सरकार की ओर से हटा लिया गया है और वन भूमि को अपने अधिकार में ले लिया गया है.

इस पर याचिकाकर्ता ने विरोध जताते हुए कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने अभी तक वन भूमि पर कब्जा नहीं लिया गया है और न ही अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया है. आज भी चिदानंद के 52 कमरों की बिल्डिंग जस की तस वन भूमि पर काबिज है, जिसके बाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार से अब तक किए गए कार्यों की एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था. लेकिन सरकार की ओर से मामले की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को मामले की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

क्या है मामला ?

हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वीरपुरखुर्द वीरभद्र में स्वामी चिदानंद के द्वारा रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा वन भूमि पर नदी किनारे कब्जा कर लिया है. साथ ही वहां पर 52 बड़े कमरे, एक बड़े हॉल और एक बड़ी गौशाला का निर्माण कर लिया गया है. चिदानंद के रसूखदार संबंध होने के कारण वन विभाग व राजस्व विभाग के द्वारा इन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि लगातार स्थानीय लोगों द्वारा भी शिकायत की जा रही है. उसकी भी अनदेखी की जा रही है. साथ ही स्वामी चिदानंद के द्वारा बनाए गए गौशाला और आश्रम का सीवरेज भी नदी में ज्यादा जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. लिहाजा, स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए इस अतिक्रमण को हटाया जाए. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

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