नैनीतालः उत्तराखंड में राज्य सरकार की ओर से 10 हेक्टेयर से कम वाले जंगलों को जंगल ना मानने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश नहीं किए जाने पर आगे प्रमुख सचिव वन और पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में पेश होना होगा.
बता दें कि, नैनीताल निवासी अजय रावत, विनोद कुमार पांडे समते अन्य लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के द्वारा जारी 21 नवंबर 2019 के उस कार्यालय आदेश को चुनौती दी है, जिसमें राज्य सरकार ने जंगलों की परिभाषा बदलते हुए 10 हेक्टेयर से कम के जंगलों को जंगल की श्रेणी से बाहर कर दिया है.
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याचिका में कहा गया है कि सरकार ने उन जंगलों को भी जंगल मानने से इनकार किया है, जहां पर पेड़ों की संख्या 60 फीसदी से कम है और उन स्थानों पर स्थानीय पेड़ों की संख्या 75 फीसदी से कम है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे. साथ ही जंगलों में अवैध रूप से निर्माण करेंगे. जिससे आने वाले समय में पर्यावरण को बड़ा खतरा होगा.