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पंचायत चुनाव में हुई अनियमिता पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब - three tier panchayat elections 2019

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हुई अनियमितता का मामला अब हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गया है. हाई कोर्ट ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 2 सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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Published : Dec 11, 2019, 11:22 AM IST

नैनीताल:उत्तराखंड में हाल में ही संपन्न हुए पंचायत चुनाव में हुई अनियमितता के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

पंचायत चुनाव में हुई अनियमित पर हाई कोर्ट सख्त

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि कैबिनेट बैठक में विधेयक पारित कर दिया गया है पंचायत चुनाव में विवाद को लेकर चुनावी ट्रिब्यूनल और अपीली ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है. जिसमें केवल अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाना है. मामले को सुनने के बाद न्यायाधीश ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही पारित किए गए विधेयक को परीक्षण के लिए अगली तिथि तय की है, ताकि कोर्ट देख सके कि क्या सरकार द्वारा नियमों के तहत विधेयक पारित किया गया है अन्यथा नहीं.

बता दें, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हुई अनियमित के मामले को सुषमा देवी समेत 39 अन्य लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव के दौरान दोनों प्रत्याशियों को बराबर वोट मिलने के बाद चुनाव अधिकारी द्वारा लाटरी के माध्यम से चुनाव जीतने की घोषणा कर दी गई. कई स्थानों पर चुनाव हार गए प्रत्याशी को विजय घोषित कर दिया गया और कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है, बावजूद भी प्रत्याशियों का नामांकन रद्द नहीं किया गया. वहीं, कई प्रत्याशियों ने लाभ के पद में रहते हुए पंचायत चुनाव लड़ा. निर्वाचन अधिकारी से इसकी शिकायत भी की गई लेकिन उम्मीदवारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड में पंचायत नियमावली नहीं बनाई गई है, जिस वजह से लोग अपनी शिकायत करने के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. इसी वजह से इन लोगों के द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने राज्य सरकार को मामले में 2 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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