नैनीताल: कोरोना काल के दौरान पर्यटक स्थल नैनीताल-मसूरी में हो रही भारी भीड़ पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट ने कोविड के खतरे को देखते हुए सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों को नाकाफी बताया है और चारधाम यात्रा शुरू करने के संदर्भ में सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी है. यात्रा को 28 जुलाई तक के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है.
गौर हो कि उत्तराखंड के बदहाल कोविड अस्पतालों को ठीक करने समेत वापस लौट रहे प्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का मामला, हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्थाओं और मेले में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य सेवा के साथ ही चारधाम यात्रा के आयोजन और नैनीताल-मसूरी में भारी भीड़ पर हाई कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की.
आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता व याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि कोरोना काल में राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन सभी हिल स्टेशनों पर पर्यटक आ रहे हैं और उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि वीकेंड में पर्यटकों के लिए दी गयी छूट पर पुनर्विचार करें और कोर्ट को बताएं, डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए जो सैंपल भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट का विवरण दें. जहां सैंपल लिए गए हैं उन जिलों के अधिकारियों ने सावधानी के लिए क्या निर्णय लिए हैं ये बताएं, राज्य के कितने सरकारी और कितने निजी अस्पतालों में एमआरआई है, कितनों में नहीं है इसकी रिपोर्ट दें.
इसके साथ ही प्रदेश के पर्यटक स्थलों में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने को लेकर हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि नैनीताल ज्यूडिशियल कैपिटल है, इसके बावजूद स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नैनीताल में भारी भीड़ के बीच न तो मास्क के नियम का पालन हो रहा है, न ही सोशल डिस्टेंसिंग का.