नैनीताल:उत्तराखंड में प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले में सचिव मेडिकल हेल्थ, सचिव शहरी विकास और सचिव औद्योगिक विकास को नोटिस जारी कर 4 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
उत्तराखंड की फिजाओं जहर घोला जा रहा है. यहां फैक्ट्रियों से निकलाने वाला प्रदूषण देवभूमि के वातावरण को दूषित कर रहा है. जिस पर हाई कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने तीनों सचिवों को आदेश दिए हैं कि वह 4 सप्ताह के भीतर एक बैठक करें. बैठक में तय करें कि उत्तराखंड में किन-किन स्थानों में मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने हैं. इसकी रिपोर्ट 4 नवंबर को नैनीताल हाई कोर्ट में पेश करनी होगी.
पढ़ें- अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर लगाई रोक
दरअसल, बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में केवल दो बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट लगे है. जिसमें से एक उधम सिंह नगर के गदरपुर और दूसरा हरिद्वार जिले के रूड़की में स्थापित है. भी सही रूप से क्रियान्वित नहीं है. साथ ही ये बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. इनसे भी प्रदूषण फैल रहा है. प्रदेश में कई स्थानों पर बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट की आवश्यकता है.
पढ़ें- कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में हुई बढ़ोतरी, एनटीसीए ने बढ़ाया बजट
बता दें कि उधम सिंह नगर निवासी हिमांशु चंदोला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर व पंतनगर के आसपास करीब 32 से अधिक फैक्ट्री संचालित हैं. जिसकी वजह से उक्त जगह में वायु और जल प्रदूषण हो रहा है. जिसके कारण अब तक दर्जनों लोगों की अकाल मौत हो गई है, जबकि कई लोगों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है, वहीं फैक्ट्रियों से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी के कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. जिसको देखते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की है.