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High Court on ISBT: आईएसबीटी शिफ्ट करने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, 11 करोड़ हो चुके खर्च - उत्तराखंड समाचार

नैनीताल हाईकोर्ट ने आज आईएसबीटी को तीनपानी शिफ्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुना. सरकार को इस मामले में 11 मार्च को जवाब देना होगा. हल्द्वानी के रवि शंकर ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया कि सरकार आईएसबीटी पर राजनीति कर रही है. आईएसबीटी का प्रस्तावित स्थान नहीं बदला जाना चाहिए.

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Published : Feb 17, 2023, 3:21 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित इंटर स्टेट बस टर्मिनल यानी आईएसबीटी को तीनपानी में शिफ्ट किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से वास्तविक दस्तावेजों के साथ 11 मार्च से पहले जवाब पेश करने को कहा.

हल्द्वानी के रवि शंकर ने दायर की है जनहित याचिका: खंडपीठ ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि आखिर इसको शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ रही है? जबकि वहां ढाई हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं और करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी रवि शकंर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका में उन्होंने कहा है कि सरकार आईएसबीटी के नाम पर राजनीति कर बार-बार आईएसबीटी की जगह बदल रही है.

रवि शंकर ने कहा आईएसबीटी निर्माण के लिए खर्च हो चुके करोड़ों रुपए: सरकार की ओर से 2008 में गौलापार में वन विभाग की आठ एकड़ भूमि पर आईएसबीटी बनाने के लिए संस्तुति की जा चुकी थी. केंद्र सरकार से भी इसकी अनुमति मिल चुकी है. राज्य सरकार वहां 11 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. आईएसबीटी निर्माण के लिए वहां पर 2625 पेड़ काटे जा चुके हैं. गौलापार के अलावा आईएसबीटी बनाने के लिए हल्द्वानी में कहीं भी इससे अधिक जमीन नहीं है. इसके बाद भी सरकार इतने पेड़ काटे जाने व सरकारी धन खर्च करने के बाद आईएसबीटी को हल्द्वानी के तीनपानी में बनाना चाहती है.
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रवि शंकर जोशी ने कहा कि गौलापार आईएसबीटी बनाने के लिए उपर्युक्त जगह है. यहां पर इंटरनेशनल स्टेडियम भी बन चुका है. यहां आईएसबीटी बनने से शहर जाम से मुक्त भी रहेगा. इसलिए आईएसबीटी को गौलापार से दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जाये. इस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से 11 मार्च से पहले जवाब पेश करने को कहा.

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