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पुस्तकालय घोटाला मामले में HC ने हरिद्वार नगर निगम से मांगा जवाब, 14 दिसंबर तक का दिया समय

नैनीताल हाईकोर्ट ने पुस्तकालय घोटाले मामले में हरिद्वार नगर निगम से 14 दिसंबर से पहले जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. आज हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई.

Nainital High Court
Nainital High Court

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Published : Nov 11, 2021, 5:35 PM IST

नैनीतालःबहुचर्चित पुस्तकालय घोटाले (Haridwar Library Scam) मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपना है. हाईकोर्ट ने मामले में हरिद्वार नगर निगम को 14 दिसंबर से पहले जवाब पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) ने आज हरिद्वार में साल 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इससे पहले कोर्ट ने हरिद्वार नगर निगम से पूछा था कि उन्हें कितने पुस्तकालय दिए गए हैं? पूर्व के आदेश पर आज कोर्ट में सरकार की तरफ से सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई.

जिसमें कहा गया कि सरकार ने नगर निगम को सभी पुस्तकालय दे दिए हैं. जबकि, नगर निगम ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें अभी तक 16 पुस्तकालयों में से केवल 5 पुस्तकालय ही दिए गए हैं. जिस पर कोर्ट ने नगर निगम से 14 दिसंबर से पहले एक शपथ पत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

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गौर हो कि देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि साल 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक की ओर से विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था.

पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दी गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया. इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.

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