नैनीतालः हाई कोर्ट ने नैनीताल के शेर का डांडा, सात नंबर समेत नैनीताल के जोन 1 और जोन 2 से अवैध अतिक्रमण को हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पर्यटकों और स्थानीय जनता की सुविधाओं के अनुसार ट्रैफिक नियंत्रण करें और इस कार्य के लिए आईआईटी दिल्ली की सलाह भी लें. वहीं अवैध रूप से भवन निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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नैनीताल निवासी प्रोफेसर अजय रावत ने नैनीताल को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने समेत अवैध निर्माण को रोकने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. कोर्ट ने मामले में सात नंबर क्षेत्र में बसे लोगों का पुनर्वास करने और सूखा ताल में हुए अवैध निर्माण को नियमानुसार ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने नैनीताल की सड़कों को भी अतिक्रमण मुक्त बनाने के आदेश दिए हैं. वहीं कोर्ट ने सूखा ताल क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर तत्काल रोक लगाने के आदेश जिला प्रशासन को दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि सूखा ताल के डूब क्षेत्र समेत शहर के अन्य स्थानों से नियम अनुसार अतिक्रमण को हटाएं. कोर्ट ने अतिक्रमण में शामिल अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से दोषी माना है.
नैनीताल की बदहाली के लिए 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नैनीताल का नया मास्टर प्लान नहीं बना है. जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार को 6 महीने के भीतर नैनीताल का मास्टर प्लान तैयार करने का आदेश पारित किया है. इस मास्टर प्लान में नैनीताल भीमताल, कमलताल, सातताल, चेतन खुरपा ताल, मलवा ताल, सूखा ताल को सुधारने की बात कही है.