नैनीताल: अवैध सड़क मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पट्टाधारकों के द्वारा पूर्व के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना का नोटिस जारी करते हुए, अगली तिथि तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई हेतु 9 अगस्त की तिथि नियत की है. कोर्ट ने सेक्रेटरी खनन, खनन अधिकारी पिथौरागढ़, जिला अधिकारी पिथौरागढ़ और खनन निदेशक समेत पट्टाधारकों से उक्त तिथि को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है.
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी: आज सेक्रेटरी खनन, निदेशक खनन, जिला खनन अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए. जिला अधिकारी पिथौरागढ़ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा कि उन्होंने कोर्ट के आदेश पर खनन के पट्टे निरस्त कर दिए और मशीनों को भी सीज कर दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के सामने अवैध सड़क का निर्माण हो गया, परन्तु उनको पता तक नहीं चला. ये लापरवाही है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खनन अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि हम कोर्ट में केसों की सुनवाई करते हैं. उसके बाद भी हमें पता है कि बाहर क्या चल रहा है. आपको क्यों नहीं. हम जमीन से जुड़े हुए हैं.
ये है पूरा मामला: मामले के अनुसार पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव निवासी नीमा वल्दिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके गांव में नदी के किनारे सरकार ने खनन हेतु 2022 में पट्टा लीज पर दिया था. शुरू में पट्टाधारक ने मजदूर लगाकर खनन कार्य किया. बाद में खनन समाग्री को लाने और ले जाने के लिए उसने बिना अनुमति के वहां सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. सड़क निर्माण के दौरान उसके द्वारा 100 से अधिक खैर और साल के पेड़ काट दिए.
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जब ग्राम वासियों ने इसका विरोध किया तो कुछ समय के लिए उसने सड़क निर्माण का कार्य बंद कर दिया. विरोध के शांत होने के बाद उसने फिर से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. जिला प्रसाशन ने भी उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि अवैध रूप से बन रही सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाये.