नैनीताल: प्रदेश में पंचायत चुनावों में हो रही देरी पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को जमकर फटकार लगाई है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बुधवार तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
शुक्रवार को पंचायत चुनावों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव करवाने के लिए कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा गया. जिसके लिए कोर्ट ने अनुमति देने से इंकार कर दिया. साथ ही सरकार से बुधवार को प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही देरी को लेकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. वहीं मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार द्वारा प्रदेश की पंचायतों में नियुक्त किये गये प्रशासकों के वित्तीय अधिकार और पॉलिसी बनाने के अधिकारों को भी सीज कर दिया है.
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बता दें कि उधम सिंह नगर जिले के गूलरभोज गांव के पूर्व प्रधान नईम ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर नहीं करा रही है. साथ ही पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर रही है. जो राज्य सरकार द्वारा 2010 में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के विपरीत है. याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में सरकार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव समय पर कराने में असफल रही है. लिहाजा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए.
वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2010 में राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र पेश किया गया था. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव समय पर कराए जाएंगे और पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. लेकिन मुख्य सचिव द्वारा इस शपथ पत्र की अवहेलना की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने चुनाव में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को बुधवार को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.