नैनीताल:उच्च न्यायालय नैनीताल से हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत को एक बड़ा झटका लगा है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश एनएस धनिक की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने के मामले में डीएम दीपक रावत के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी कर उन्हें 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिए है.
गंगा में अतिक्रमण मामले की सुनवाई. बता दें कि हरिद्वार निवासी सुनीता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उच्च न्यायालय के पूर्व में दिए गए आदेश पर हरिद्वार से अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी. लेकिन डीएम दीपक रावत और मुख्य नगर आयुक्त ने इस आदेश की आड़ में नगर निगम द्वारा आवंटित दुकानों को अतिक्रमण मानते हुए तोड़ दिया. इस दौरान दुकानों में रखा करीब 6 लाख का सामान भी गंगा में फेंक दिया और प्रशासन ने जबरन उनकी दुकानों को खाली करवा दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पास इन दुकानों का सिविल न्यायालय द्वारा दिया आदेश भी है. जिसमें साफ कहा गया है कि बिना अनुमति के उनकी दुकानों से नहीं हटाया जा सकता है.
पढ़ें-रुद्रपुर: मतदान से पहले एसएसपी ने जवानों को शांतिपूर्ण चुनाव कराने का दिया मंत्र
बुधवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करते हुए डीएम हरिद्वार दीपक रावत और मुख्य नगर आयुक्त के खिलाफ आपराधिक अवमानना नोटिस जारी करते हुए उन्हें 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. वहीं, पूर्व में हरिद्वार निवासी पंकज मिगलानी ने भी हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गंगा नदी के किनारे लोगों के द्वारा अतिक्रमण किया गया है. साथ ही गंगा नदी पर और उसके घाटों पर प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है. जिससे गंगा की स्वच्छता पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही हरिद्वार में कूड़े का ढेर लगने लगा है.
वहीं, पंकज मिगलानी कि याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हरिद्वार डीएम दीपक रावत को विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था. साथ ही जिलाधिकारी को गंगा घाटों पर प्लास्टिक के सामानों की ब्रिकी और खुले में लग रही दुकानों पर रोक लगाने को भी कहा था. जबकि, कोर्ट ने न्याय मित्र की रिपोर्ट के आधार माना था कि हरिद्वार में गंगा के घाटों पर पॉलिथीन का प्रयोग हो रहा है और गंगा के घाटों पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जिसके बाद कोर्ट ने हरिद्वार जिलाधिकारी को गंगा घाटों की सफाई और अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे.