नैनीताल: प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को मंगलवार तक शपथ पत्र के साथ अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ और न्यायाधीश रविंद्र मैठानी की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 'क्यों ना मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए?' जिसका सरकार की तरफ से विरोध किया गया. कोर्ट में सरकार के वकील ने कहा कि मामले की जांच वर्तमान में एसआईटी द्वारा की जा रही है. अब तक मामले में 70% जांच की जा चुकी है.
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लिहाजा मामले की जांच एसआईटी द्वारा ही करवाई जाए, अन्यथा जांच प्रभावित हो सकती है. जिस पर सुनाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को मामले में शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं.
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बता दें कि राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि समाज कल्याण विभाग के द्वारा वर्ष 2003 से लेकर अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग के द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है. जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था, मगर इस पर आगे की कोई कार्यवाही नहीं हो सकी. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस घोटाले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए.