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उत्तराखंड में गजराज बने दूसरे जानवरों के लिए चुनौती, 1400 मीटर की ऊंचाई तक दिखी उपस्थिति - हाथी गणनामें हाथियों की संख्या में वृद्धि

इस बार हुई हाथी गणना में पहली बार पहाड़ों पर हाथियों के झुंड को देखा गया है. प्रदेश में पहली बार एक हजार मीटर से 1400 मीटर तक हाथियों की उपस्थिति दर्ज हुई है.

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मध्य हिमालई क्षेत्रों में देखे गए हाथी.

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Published : Jun 20, 2020, 12:32 PM IST

हल्द्वानी:इस बार हुई हाथी गणना में पहली बार पहाड़ों पर हाथियों के झुंड को देखा गया है. प्रदेश में पहली बार एक हजार मीटर से 1400 मीटर तक हाथियों की उपस्थिति दर्ज हुई है. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार गणना में हाथियों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ वन विभाग अब हाथियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है. ऐसे में अब वन विभाग पहाड़ों पर हाथियों की सुरक्षा निगरानी के लिए रणनीति तैयार कर रहा है.

मध्य हिमालई क्षेत्रों में देखे गए हाथी.

वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इस बार हुई हाथी गणना में पहली बार पहाड़ के कई वन रेंजों को भी शामिल किया गया है. नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी, चंपावत वन प्रभाग के मध्य हिमालई क्षेत्रों में हाथी गणना के दौरान हाथियों की उपस्थिति दर्ज हुई है. प्रत्यक्ष रूप से वन विभाग द्वारा हाथी विचरण करते हुए देखे गये हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों के दूसरे वन्य जीवों के साथ-साथ वहां के निवासियों के सामने भी चुनौती बढ़ गई है.

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पराग मधुकर धकाते ने बताया कि उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार हाथी गणना में हाथियों की संख्या में वृद्धि होगी. यही नहीं पहाड़ पर हाथियों की उपस्थिति दर्ज होने के बाद वन विभाग अब उन हाथियों की सुरक्षा और वास स्थलों को लेकर रणनीति तैयार कर रहा है.

गौरतलब है कि साल 2015 की हाथी गणना के अनुसार राज्य में 1,797 हाथी पाए गए थे. इस बार हाथी गणना में हाथियों की संख्या में वृद्धि होने के अनुमान हैं. ऐसे में मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए भी रणनीति बनाई जाएगी.

अभी तक तराई-भाबर में मिलते थे हाथी

हाथी अभी तक यमुना नदी से शारदा तक फैले तराई-भाबर और इनसे लगे इलाकों में मिलते थे. अलग-अलग वन प्रभागों की छोटी पहाड़ियों तक ही हाथियों का आना-जाना होता था. अबकी गणना में हाथियों के 1400 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के प्रमाण मिले हैं. अल्मोड़ा डिवीजन की जौरासी रेंज में हाथियों के पहुंचने के प्रमाण मिले हैं.

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