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प्रधानमंत्री फसल योजना के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई, हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनियों से चार सप्ताह में मांगा जवाब

आज हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को मिलने वाली रकम के गलत आंकड़े पेश करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस व एनसीएमएल कंपनी को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

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प्रधानमंत्री फसल योजना के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई.

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Published : Apr 6, 2022, 1:26 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर दायर जनहित याचिका और नैनीताल में बांज के पत्ते जलाए जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की. जहां प्रधानमंत्री फसल बीमा मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने की खंडपीठ ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस व एनसीएमएल कंपनी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. वहीं, कोर्ट ने दूसरे मामले में बांज के पत्ते जलाने पर रोक लगाए जाने को कहा है.

बता दें कि आज हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को मिलने वाली रकम के गलत आंकड़े पेश करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस व एनसीएमएल कंपनी को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. ऐसे में इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद नियत की गई है.

इस मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल जिले के 42 हजार 300 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत खरीफ की फसल का 2020 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस से बीमा कराया था, परन्तु डेटा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी मुम्बई द्वारा गलत आंकड़े दिए गए जिसकी वजह से जिले के किसानों को फसल बीमा का बहुत कम पैसा दिया गया. साथ ही किसी किसान को इसका लाभ ही नहीं मिला.

वहीं, जब इसकी शिकायत पीएमओ से की गई तो यह मामला संसद में भी उठा. किसानों द्वारा एसबीआई जनरल इंश्योरेंस व एनसीएमएल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने और किसानों को हुए नुकसान का पैसा दिलाये जाने की मांग को लेकर यह जनहित याचिका दायर की गई है. ऐसे में कोर्ट ने बीमा कंपनियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

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उधर, दूसरे मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल में स्थानीय लोगों व सफाई कर्मचारियों द्वारा बांज के पत्ते जलाए जाने को लेकर मुख्य न्यायधीश को प्रेषित पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, राज्य सरकार, कलेक्टर नैनीताल व नगर पालिका परिषद नैनीताल से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि की छात्रा मेधा पांडे ने 23 मार्च 2022 को मुख्य न्यायधीश को पत्र प्रेषित किया था, जिसका कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश ने रीओपन बर्निंग ड्राईओक लीव्स के नाम से जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया.

जिसमें कहा गया कि नैनीताल बांज के जंगल से घिरा हुआ है. जिसकी शुखी हुए पत्तियाँ सड़क, गलियों, छतों में गिरती रहती हैं, स्थानीय लोग व सफाई कर्मचारियों द्वारा रोड, गलियों व छतों को साफ करते समय इनको जलाया जाता है, जिसका प्रभाव यहाँ के पर्यावरण व अस्वस्थ लोगों पर पड़ रहा है. लिहाजा, इस पर रोक लगाई जाए.

वहीं, पत्र में उनके द्वारा यह भी कहा गया बांज की पत्तियां बहुत ही उपयोगी है. इसे न जलाकर इसकी खाद बनाई जा सकती है और ये पत्तियां जमीन की नमी को बनाई रखती है. इनके नीचे कई प्रकार के कीड़े, सांप आदि रहते हैं. लिहाजा, इस पर तुरंत प्रभाव पर रोक लगाई जाए. जिसके बाद इस मामले में कोर्ट ने संबंधित इकाइयों से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

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