नैनीताल:उत्तराखंड हाइकोर्ट ने भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सरकार की तरफ से पेश की गई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि 20 करोड़ रुपये किसी दूसरी कंपनी को दे दिये गए थे, जो अब सरकार के खाते में आ चुके हैं. 20 करोड़ रुपये का गबन नहीं हुआ है. बता दें, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से 20 करोड़ रुपये के गबन मामले में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था. मामले की अगली सुनवाई अब 10 नवंबर को होगी.
सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि बोर्ड के जिन अधिकारियों के कारण यह हुआ है, सरकार उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासनिक संसोधित नियमावली 2010 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रही है. उन अधिकारियों के नाम दमयंती रावत तत्कालीन सचिव भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड, डॉक्टर आकाशदीप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बीएन सेमवाल मुख्य फार्मासिस्ट कर्मचारी राज्य बीमा योजना और नवाब सिंह वरिष्ठ सहायक श्रम सम्मलित हैं.
बता दें, काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने हेतु विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था. लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गईं. जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई, तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया और बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया.
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जब इस मामले की जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई. उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई, जिसमें बड़े-बड़े सफेदपोश नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया, जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है. अपने लोगों को बचाया जा रहा है.