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कुष्ठ रोगियों के पक्के आवास तोड़ने का मामला, हरिद्वार डीएम ने HC में पेश किया जवाब - पक्के आवासों को तुड़वा दिया

हरिद्वार प्रशासन की एक गलती के कारण 2017 से सड़क किनारे खुले आसमान में रहने को मजबूर कुष्ठ रोगियों (leprosy patients in Haridwar) को लेकर दायर जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने सुनवाई है. हरिद्वार जिला प्रशासन से राष्ट्रपति के दौरे के कारण साल 2017 में गंगा माता कुष्ठ आश्रम के कुष्ठ रोगियों के पक्के आवासों को तुड़वा दिया (demolishing permanent residence) था.

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Published : Sep 26, 2022, 7:44 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने हरिद्वार में गंगा माता कुष्ठ आश्रम के कुष्ठ रोगियों (leprosy patients in Haridwar) के पक्के आवासों (demolishing permanent residence) को 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के दौरे में तोड़े जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. आज हुई सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी हरिद्वार एवं हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण ने कोर्ट को अवगत कराया कि इनके पुनर्वास के लिए जमीन तलाश ली गई है. जल्द ही इनके लिए आवास बना दिए जाएंगे.

मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने 13 दिसंबर तक कुष्ट रोगियों के लिए बनाए जाने वाले आवासों की डीपीआर कोर्ट में पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई.
पढ़ें-UKSSSC paper leak: HC ने कांग्रेस MLA की याचिका पर सरकार से मांगा जवाब

मामले के अनुसार हरिद्वार की नाव वेलफेयर सोसायटी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार आगमन पर गंगा माता कुष्ठ आश्रम में कुष्ठ रोगियों के पक्के आवासों को प्रशासन ने तोड़ दिया, ताकि राष्ट्रपति उन्हें ना देख सकें. उनके लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एसएनजे ट्रस्ट द्वारा 20 लाख रूपये खर्च करके बनाये गए थे.

आवास तोड़े जाने के बाद से ही कुष्ठ रोगी सड़क किनारे अपना जीवन बीता रहे हैं. सरकार ने अभी तक इनकी रहने की व्यवस्था नहीं की है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से तालुक रखते हैं. उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनवाई करेगा.

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