नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्तीकरण के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई, निर्णय रखा सुरक्षित - अवैध मजारों पर बुलडोजर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड सरकार इन दिनों सरकारी जमीनों पर बने धार्मिक निर्माण को हटा रही है. उत्तराखंड में अब तक 334 मजारों और 33 मंदिरों को इस कार्रवाई के तहत हटाया जा चुका है. सरकारी जमीनों से मजार हटाने के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
सरकारी जमीनों से मजार हटाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई: मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी हमज़ा राव और अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने कहा है कि सरकार एक धर्म विशेष के निर्माणों को अवैध नाम देकर ध्वस्त कर रही है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि धर्म विशेष के खिलाफ की जा रही इस कार्रवाई पर रोक लगाई जाए. ध्वस्त किए गए मजारों का पुनः निर्माण कराया जाये. सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर सिंह रावत ने कोर्ट को बताया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका एकलपीठ ने खारिज कर दी है.
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सरकारी भूमि से हटाई जा चुकी हैं 334 मजारें: राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरिद्वार, रुड़की, टिहरी के मोलधार, रामनगर, देहरादून, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगहों से पहले ही लगभग 300 अतिक्रमण हटा चुकी है. सरकार अभी 400 अन्य अवैध मजारों को हटाने की तैयारी कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के आदेश सभी राज्यों को दिये थे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो उन राज्यों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी.