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देवस्थानम बोर्ड: सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका के खिलाफ इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर, 3 हफ्ते बाद होगी सुनवाई

देवस्थानम बोर्ड बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समेत प्रदेश के 51 अन्य मंदिरों शामिल करने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुब्रह्मण्यम स्वामी समेत लिटिगेशन संस्था द्वारा याचिका में सुनवाई के लिए समय की मांग की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को 3 सप्ताह का समय दिया है.

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इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर

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Published : Jun 12, 2020, 11:00 AM IST

नैनीताल: बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समेत प्रदेश के 51 अन्य मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड में शामिल करने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब मामले में 3 हफ्ते बाद एक बार फिर सुनवाई होगी. राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका के खिलाफ देहरादून की रूलर लिटिगेशन संस्था ने कोर्ट में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर की है.

इस याचिका में रूलर लिटिगेशन संस्था ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड के तहत लाना बिल्कुल सही है. सरकार के फैसले से किसी की भी आस्था को नुकसान नहीं पहुंचता लिहाजा सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका को खारिज किया जाए.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुब्रह्मण्यम स्वामी समेत लिटिगेशन संस्था द्वारा याचिका में सुनवाई के लिए समय की मांग की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को 3 सप्ताह का समय दिया है.

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बता दें कि राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड अधिनियम असंवैधानिक है. याचिका में यह भी कहा गया है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम व 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है. सरकार के इस फैसले के बाद प्रभावित धार्मिक स्थानों व मंदिरों के पुजारियों में भारी रोष पैदा हो गया था.

सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व में कुछ अन्य राज्यों ने भी इस तरह के निर्णय लिए थे, जिनके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय पहले से ही हैं. उन्होंने उत्तराखंड सरकार के फैसले को नीतियों के भी खिलाफ बताया है और देवास्थनम बोर्ड को खत्म करने की मांग की है.

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