नैनीताल: प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने सरकारी धन रिकवर करने की मांग की. जिस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सरकारी धन की रिकवरी के लिए सुझाव मांगा. साथ ही शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिये हैं.
सरकारी धन रिकवरी के सवाल पर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा सुझाव इसके साथ ही प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन ने हाई कोर्ट से प्रार्थना करते हुए कहा कि कुछ कॉलेज सरकारी धन को वापस करने को तैयार हैं. जिस पर हाईकोर्ट का कहना है कि कार्रवाई चल रही है. उसमें बगैर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले उक्त पैसा जमा कराया जा सकता है. अगर घोटाले का पैसा जमा कराया जाता है तो ऐसे कालेजों के संचालक के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई में कोई बचाव नहीं होगा. मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति दे दी गई है. एसआईटी के जांच अधिकारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि करीब 4 समाज कल्याण अधिकारियों को घोटाले के आरोप में जेल भेज दिया गया है और अन्य पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि घोटाले की जांच कर रहे दूसरे जांच अधिकारी संजय गुंज्याल ने बताया कि जिलेवार घोटाले की रिपोर्ट तैयार की जा रही है और आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की जा रही है.
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बता दें, देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है, जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा था, लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए.