नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 2019 में हज यात्रियों की देखरेख के लिए हज कमेटी द्वारा भेजे गए तदर्थ नियुक्त अयोग्य के कर्मचारी द्वारा किए गए अनियमितता के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए विपक्षी मोहम्मद अली से रिकवरी करने के आदेश हज कमेटी को दिए हैं.
2019 में भेजे गए हज यात्री मामला, HC ने हज कमेटी को विपक्षी मोहम्मद अली से रिकवरी करने का दिया आदेश - Haj pilgrims sent in 2019
Uttarakhand High Court नैनीताल हाईकोर्ट में आज 2019 में हज यात्रियों की देखरेख के लिए भेजे गए कर्मचारी द्वारा की गई अनियमितता के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने विपक्षी मोहम्मद अली से रिकवरी करने के आदेश हज कमेटी को दिए हैं.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Jan 10, 2024, 6:57 PM IST
|Updated : Jan 10, 2024, 8:52 PM IST
पहले हज कमेटी पिरान कलियर, वक्फ बोर्ड देहरादून और वक्फ इंस्पेक्टर मोहम्मद अली को नोटिस जारी कर 17 अप्रैल 2023 तक जवाब पेश करने को कहा था. जिस पर मोहम्मद अली ने एक अलग से याचिका दायर कर कहा कि उनकी रिकवरी आदेश पर रोक लगाई जाए. कोर्ट ने दोनों मामलों को एक साथ सुनते हुए सरकार को रिकवरी करने के आदेश को बरकरार रखते हुए उनसे रिकवरी करने के आदेश दिए हैं.
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मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी तौसीफ ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हज यात्रियों की देखरेख के लिए प्रत्येक हवाई जहाज में एक सरकारी कर्मचारी हज कमेटी द्वारा भेजा जाता है, जिसका खर्चा सरकार खुद वहन करती है. 2019 में भी कमेटी ने एक तदर्थ नियुक्त अयोग्य कर्मचारी को हज यात्रियों की देखरेख करने के लिए भेजा था. यही नहीं कमेटी ने हज जाने के लिए नोटिफिकेशन 1 जनवरी 2019 को निकाला और उसे जाने की अनुमति 28 दिसंबर 2018 को दी गई, जबकि हज यात्रियों की देखरेख के लिए सरकारी कर्मचारी का होना आवश्यक है जो इस व्यक्ति के पास नहीं था. जनहित याचिका में कहा गया है कि कमेटी ने सरकारी धन का दुरप्रयोग किया है, इसलिए इसकी जांच की जाए और उसकी वसूली की जाए..
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