नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुड़की नगर निगम की भूमि पर बनी दुकानों को मेयर द्वारा अपने ही लोगों को बिना किसी किसी विज्ञप्ति के एलाट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार से शुक्रवार तक यह बताने को कहा है कि मुख्य नगर आयुक्त की नियुक्ति अपने ही होम टाउन में कैसे की गई है? और नगर निगम से दुकानों के आवंटन के सम्बंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. दरअसल, रुड़की निवासी आशीष सैनी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.
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याचिकाकर्ता ने कोर्ट को कहा था कि नगर निगम रुड़की ने नगर निगम की भूमि पर वर्ष 2011 से 2013 के बीच में करीब 24 दुकानें बनाई गई थी, जिन्हें तत्कालीन मेयर ने बिना किसी विज्ञप्ति के अपने ही लोगों को अलॉट कर दी. इतना ही नहीं बाद में दुकानों के छतों का अधिकार भी उन लोगों को दे दिया, जिसे 2015 में तत्कालीन मेयर ने हाईकोर्ट ने चुनौती दी. इसके बाद कोर्ट ने जिला अधिकारी को मामले की जांच करने के आदेश दिए थे और जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था.