उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया झटका, वनों की परिभाषा बदलने के आदेश पर लगी रोक

वनों की परिभाषा बदलने के मामले में राज्य सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी वनों की परिभाषा को बदलने के आदेश पर रोक लगा दी है.

Main News of Nainital
हाईकोर्ट

By

Published : Feb 28, 2020, 8:51 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में वनों की परिभाषा बदलने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट से राज्य सरकार को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार ने पांच हेक्टेयर के जंगलों को जंगल मानने से इनकार कर दिया था. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा जारी वनों की परिभाषा को बदलने के आदेश पर रोक लगा दी है.

वनों की परिभाषा को बदलने के आदेश पर लगी रोक.

बता दें कि याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार के इस आदेश के बाद जंगलों में अवैध तस्करों की संख्या बढ़ेगी और लोग बेतहाशा जंगलों का कटान करेंगे. जिससे आने वाले समय में पर्यावरण को बड़ा खतरा होगा. वहीं, मामले में देहरादून निवाशी रेनू पॉल ने भी हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. कहा था कि 21 नवंबर 2019 में उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग ने वनों की परिभाषा बदल दी है. सरकार ने अपने इस आदेश में कहीं भी वन्य जीव जंतुओं का उल्लेख नहीं किया. जिससे वन्य जीव जंतुओं के जीवन पर खतरा उत्पन्न होगा.

अधिवक्ता याचिकाकर्ता राजीव बिष्ट ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1995 में जारी टीएन गोंडा वर्मन बनाम केंद्र सरकार के उस आदेश का भी जिक्र किया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी वन क्षेत्र चाहे वह किसी व्यक्ति विशेष का हो या राज्य सरकार द्वारा घोषित हो या न हो, वह वन क्षेत्र ही माना जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रत्येक राज्यों की सरकार को आदेश दिए गए थे कि सभी राज्य अपने इस तरह के क्षेत्रों का चयनित कर उनको वन की श्रेणी में लाएं. वहीं आज मामले सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए वनों की परिभाषा बदलने वाले आदेश पर रोक लगा दी है.

ये भी पढे़ें:आबकारी विभाग में बंपर तबादले, ज्वॉइंट कमिश्नर से डीईओ तक बदले गए

बता दें कि, पूर्व में नैनीताल निवासी अजय रावत और विनोद कुमार पांडे ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा जारी 21 नवंबर 2019 के उस कार्यालय आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें राज्य सरकार द्वारा जंगलों की परिभाषा बदलते हुए 10 हेक्टेयर से कम के जंगलों को जंगल की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा उन जंगलों को भी जंगल मानने से इनकार किया गया है जहां पर 60% से कम पेड़ों की संख्या है. मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले पर भी रोक लगा दी थी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details