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Published : Jun 29, 2021, 3:08 PM IST

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रोडवेज कर्मियों को 5 महीने से वेतन न मिलने पर HC सख्त, सरकार से जवाब मांगा

पिछले 5 महीनों से रोडवेज कर्मचारियों का बकाया भुगतान नहीं दिए जाने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

HC सख्त
HC सख्त

नैनीताल: उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारियों (Uttarakhand Roadways Employee) को बीते 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. इस मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान (Chief Justice Raghavendra Singh Chouhan) की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को एक बार फिर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि रोडवेज कर्मचारियों के वेतन के अलावा ग्रेच्युटी, पीएफ समेत परिसंपत्तियों की क्या स्थिति है. इसको लेकर राज्य सरकार से विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने को कहा गया है.

रोडवेज कर्मियों के वेतन पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

मंगलवार (29 जून) को मामले में सुनवाई के दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश (Chief Secretary Omprakash) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार कर्मचारियों को वेतन न मिलने का मामला आने वाली कैबिनेट में रखा जाएगा. ताकि कर्मचारियों को वेतन समय पर देने के मामले पर फैसला लिया जा सके.

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मुख्य सचिव के जवाब के बाद नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ (nainital Chief Justice's Bench) ने मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को तय करते हुए राज्य सरकार को मामले में विस्तृत जवाब व कैबिनेट में लिए गए फैसले को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ (Uttarakhand Roadways Employees Union) ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर (public interest litigation) कर कहा है कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा (esma) लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार व परिवहन निगम (transport corporation) न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही हैं, न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है. उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है.

यही नहीं, रिटायर कर्मचारियों के देय का भी भुगतान नहीं किया गया है. यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है. उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है.

याचिका में कहा है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Uttar Pradesh Transport Corporation) द्वारा भी निगम को 700 करोड़ रुपया देना है. न तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ दे रही है और न ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए मांग रही है. इस वजह से निगम न तो नई बसें खरीद पा रहा है और न ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं दे पा रहा है.

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