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सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में 20 करोड़ के गबन का मामला, HC ने एक हफ्ते में मांगी जांच रिपोर्ट

उत्तराखंड सन्निर्माण कल्याण बोर्ड भ्रष्टाचार मामले में आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है. सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में 20 करोड़ का गबन हुआ है.

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सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में 20 करोड़ के गबन मामले पर HC में सुनवाई

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Published : Sep 6, 2021, 5:04 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने भवन एवं अन्य सन्निर्माण कल्याण बोर्ड उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. कोर्ट ने सरकार से इस मामले में एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी.

बता दें पिछली तिथि को बोर्ड के चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने एक प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि उनको इस जनहित याचिका में पक्षकार बनाया जाये. वे इस पूरे प्रकरण से वाकिफ हैं. बोर्ड में एक हॉस्पिटल बनाने को लेकर 20 करोड़ रुपया का गबन हुआ है. इस हॉस्पिटल को बनाने के लिए बोर्ड के सदस्यों ने सरकार व कैबिनेट की अनुमति तक की नहीं ली. इसमें एक कंपनी को 20 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान तक कर दिया गया.

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बता दें काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने जनहित याचिका दायर की है. याचिकर्ता का कहना है कि साल 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने हेतु विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था. लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमितताएं बरती गईं. जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया. तब शमशेर सिंह सत्याल को बोर्ड का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया. जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई.

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उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई. जिसमें बड़े-बड़े सफेदपोश नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आये. मगर सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. खुर्शीद अहमद का आरोप है कि नए जांच अधिकारी द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है. साथ ही अपने लोगों को बचाया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित से कराई जाये.

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