हल्द्वानीःवनभूलपुरा में रेलवे भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने के मामले में आज का दिन काफी अहम है. रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आगे की कार्रवाई टिकी है. जबकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही रेलवे भूमि खाली करने का आदेश दे चुकी है. इधर, मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की अगुवाई में वहां के रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसके साथ ही प्रशांत भूषण की ओर से भी याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को जोड़ते हुए गुरुवार को सुनवाई करने को कहा है. पांच जनवरी को शीर्ष अदालत में जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ सुबह 10.30 बजे मामले की सुनवाई करेगी. इधर, इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है.
दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र से करीब 78 हेक्टेयर भूमि पर बसे 4365 अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराई जानी है. साल 2013 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में हल्द्वानी में बह रही गौला नदी में अवैध खनन को लेकर एक पीआईएल दाखिल की गई थी. यह नदी हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और रेल पटरियों के बगल से बहती है. इस पीआईएल में कहा गया कि रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से बसाई गई गफूर बस्ती के लोग गौला नदी में अवैध खनन करते हैं. इसकी वजह से रेल की पटरियों के साथ-साथ गौला पुल पर खतरा मंडरा रहा है.
साल 2017 में रेलवे ने राज्य सरकार के साथ मिलकर क्षेत्र का सर्वे किया गया और 4365 अवैध कब्जेदारों को चिह्नित किया गया. इसके बाद हाईकोर्ट में फिर एक रिट पिटिशन दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने में देरी की जा रही है, जिस पर मार्च 2022 में हाईकोर्ट नैनीताल जिला प्रशासन को रेलवे के साथ मिलकर अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाने का निर्देश दिया गया.
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