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Organic Jaggery: रूस-अमेरिका तक मिठास बिखेर रहा हल्द्वानी के पान सिंह का गुड़, इसके सामने चॉकलेट भी फेल

हल्द्वानी में मोहन सिंह पडियार अपने पिता की विरासत को समेटे हुए हैं. मोहन प्राकृतिक तरीके से गुड़ को तैयार करते हैं. इस गुड़ की बाजार में खासी मांग है. बेहतर क्वालिटी होने के कारण प्रवासी भी उनके गुड़ की मांग करते हैं. मोहन सिंह पडियार का कहना है कि वो अपने पिता की राह पर चल रहे हैं और कभी उन्होंने क्वालिटी से समझौता नहीं किया.

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Published : Feb 15, 2023, 7:34 AM IST

Updated : Feb 15, 2023, 10:56 AM IST

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रूस अमेरिका तक मिठास बिखेर रहा हल्द्वानी का गुड़

हल्द्वानी:सर्दियों में गुड़ की काफी डिमांड आती है. अगर गुड़ की क्वालिटी अच्छी हो तो गुड़ खाने का मजा ही कुछ और होता है. रुद्रपुर-हल्द्वानी मार्ग पर पंचायत घर के पास गांव फूलचौड़ पर एक गुड़ का छोटा सा कोल्हू है. यहां गुड़ खरीदने वालों की हमेशा भीड़ देखने को मिलेगी. इस गुड़ की मिठास इतनी खास है कि लोग इसे खरीदने दूर-दराज से पहुंचते हैं. ग्राहकों की इतनी भीड़ होती है कि बिक्री के लिए गुड़ ही कम पड़ जाता है.

गुड़ की क्वालिटी बेहतर:गुड़ बनाने वाले कोल्हू स्वामी मोहन सिंह पडियार बताते हैं कि उनके गुड़ की पहचान पान सिंह गुड़ वालों के नाम से की जाती है. पान सिंह उनके पिता थे और वह पिछले 50 सालों से गुड़ का कारोबार करते आ रहे हैं. उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनके इस गुड़ के कारोबार की विरासत को वह संजोने का काम कर रहे हैं. आज भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए गुड़ की क्वालिटी को बेहतर रखा है. इसका नतीजा है कि उनके गुड़ को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. उनके यहां तैयार गुड़ पूरी तरह से पारंपरिक है. किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है. मोहन सिंह पडियार कहते हैं कि भले ही पिता अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनके कोल्हू के बने गुड़ की मिठास आज भी लोगों की जुबान पर रहती है.
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गुड़ की प्रवासियों में भी भारी मांग:हालांकि बैल की जगह अब कोल्हू बिजली से चलता है. लेकिन बाकी सारा कार्य पारंपरिक तरीके से ही किया जाता है. बिना केमिकल और मिलावट के तैयार इस गुड़ की लोकप्रियता पूरे कुमाऊं सहित कई राज्यों में है. यही नहीं उनकी गुड़ की पहचान अब अमेरिका और रूस के साथ ही कई देशों में रहने वाले प्रवासियों तक हो गई है. जिसका नतीजा है कि प्रवासी भारतीय अपने नाते रिश्तेदारों के माध्यम से यहां से अपने लिए गुड़ मंगवाते हैं. यही नहीं कई फिल्मी हस्तियों के साथ ही भारतीय क्रिकेटरों के भी करीबी या रिश्तेदार यहां से गुड़ लेकर उनको पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि गुड़ बनते ही हाथों-हाथों हाथ बिक जाता है.

इस तरह तैयार होता है गुड़:गुड़ बनाने वाले कारीगर मनोज कुमार का कहना है कि सादे गुड़ के अलावा मेवा वाले गुड़ की डिमांड अधिक है. इसमें सफेद तिल, काजू, बादाम और मूंगफली मिलाई जाती है. इसकी सफाई से लेकर तैयार होने तक की पूरी प्रक्रिया पारंपरिक तरीके से होती है. जहां अन्य फैक्ट्रियों में गन्ने के रस को साफ करने के लिए रसायन आदि का उपयोग किया जाता है, वहीं हमारे यहां रस की सफाई के लिए भिंडी की राल मिलाई जाती है. रमेश कुमार का कहना है कि पान सिंह नाम से गुड़ पूरे कुमाऊं मंडल में प्रसिद्ध है और पिछले 50 साल से यहां पर गुड़ बनाने का काम कर रहे हैं.
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जानिए गुड़ के क्या हैं दाम:बाजारों में जहां केमिकल वाला गुड़ धड़ल्ले से बिक रहा है और बहुत से लोगों ने अब चीनी का प्रयोग बंद कर दिया है. ऐसे में उनकी गुड़ की डिमांड बहुत है. जिसका नतीजा है कि रोजाना कई कुंतल गुड़ की बिक्री होती है. बाजार में जहां गुड़ की कीमत ₹40 किलो के आसपास है तो वहीं पान सिंह के कोल्हू के बने सादे गुड़ की कीमत ₹65-70 प्रति किलो है. जबकि ड्राई फूड से बना गुड़ ₹300 किलो तक है.

Last Updated : Feb 15, 2023, 10:56 AM IST

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