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14 साल के वनवास में जिन 6 वनों से रहा श्रीराम का नाता, उन पेड़ों से तैयार हुई रामायण वाटिका - Ramayana Vatika

Haldwani Ramayana Vatika हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में रामायण वाटिका तैयार की गई है. इस रामायण वाटिका में 6 वनों के 139 पेड़ पौधों का वर्णन किया गया है. वन अनुसंधान केंद्र के रेंजर मदन सिंह बिष्ट ने इस वाटिका को तैयार किया है.

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हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने तैयार की रामायण वाटिका

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 10, 2024, 1:20 PM IST

Updated : Jan 10, 2024, 3:45 PM IST

हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने तैयार की रामायण वाटिका

हल्द्वानी: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले देशभर में राममय माहौल है. ऐसी ही कुछ तस्वीरें हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र से सामने आई हैं. हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में रामायण वाटिका तैयार की गई है. इस रामायण वाटिका में भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास वाली जगहों के पेड़ पौधों और उनके महत्व का वर्णन किया गया है. करीब 15 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद वन अनुसंधान केंद्र के रेंजर मदन सिंह बिष्ट ने इस वाटिका को तैयार किया है.

वन अनुसंधान केंद्र के रेंजर मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि रामायण वाटिका में कई प्रकार के पौधे लगाए गए हैं. पौधों को संरक्षित करने के लिए वन अनुसंधान केंद्र ने महर्षि वाल्मीकि के नाम पर वाटिका तैयार की है. उन्होंने कहा वन अनुसंधान केंद्र में वाटिका को देखकर लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.

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गौरतलब है कि महर्षि वाल्मीकि ने जो रामायण लिखी है उसमें 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम करीब 6 बड़े वनों से होकर गुजरे थे. करीब 6 वनों के 139 पेड़ पौधों का वर्णन इस रामायण वाटिका में किया गया है. इन पौधों को वन अनुसंधान केंद्र संरक्षित करने की कोशिश में जुटा हुआ है. चित्रकूट से लेकर पंचवटी, दण्डकारण्य, अशोक वाटिका से लेकर द्रोणगिरी पर्वत जहां से हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आये थे सबका वर्णन विस्तार से इस वाटिका में किया गया है. वाटिका में 139 वृक्षों का प्रयोग, उनका बॉटनिकल नाम भी लगाया गया है. इस रामायण वाटिका का मकसद त्रेता युग की रामायण के बारे में जानकारी देना है.

Last Updated : Jan 10, 2024, 3:45 PM IST

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