नैनीताल: आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में चल रहे संपूर्णानंद दूरबीन के स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने कहा कि एरीज ने अंतरिक्ष के अध्ययन में सर्वश्रेष्ठ काम किया है, जिसके चलते आज एरीज और नैनीताल का नाम विश्व में जाना जा रहा है.
उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह मंगलवार को नैनीताल के दौरे पर रहे, जहां उन्होंने आर्यभट्ट शिक्षण संस्थान में 104 सेंटीमीटर व्यास की संपूर्णानंद दूरबीन के स्वर्ण जयंती समारोह में शिरकत की. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड में तेजी से एस्ट्रो पर्यटन बढ़ रहा है, जिससे उत्तराखंड में रोजगार के अवसर बढ़े हैं. नैनीताल से लेकर गढ़वाल के उत्तरकाशी तक कई स्थानों पर एस्ट्रो पर्यटन केंद्र खुले हैं, जो आने वाले समय के लिए बेहद फायदेमंद होंगे.
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समारोह के दौरान राज्यपाल ने एरीज में काम कर चुके 50 से अधिक वैज्ञानिकों समेत कर्मचारियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. राज्यपाल ने कहा कि, देवस्थल में स्थापित हो रही लिक्विड मिरर दूरबीन आने वाले समय में अंतरिक्ष के अध्ययन में बेहद कारगर सिद्ध होगी. 50 सालों में एरीस ने बेहद महत्वपूर्ण अध्ययन अंतरिक्ष के क्षेत्र में किए हैं, जिससे भारत का नाम आज पूरे विश्व में तेजी से फैला है.
वहीं, अंतरिक्ष अध्ययन क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर राज्यपाल ने कहा कि देश भर में महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, आने वाले समय में अंतरिक्ष अध्ययन में भी महिलाओं की भागीदारी और बढ़नी चाहिए.
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इस दौरान पूर्व वैज्ञानिकों ने दूरबीन की स्थापना के दौरान घटित घटनाओं को साझा करते हुए बताया कि की दूरबीन का निर्माण 1968-1969 में प्रारंभ किया था. दूरबीन 1972 में पूरी बनकर तैयार हुई. एरीस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ शशि भूषण पांडे ने बताया कि, 104 सेंटीमीटर व्यास की दूरबीन के यहां लगने के बाद करीब 400 से अधिक शोध पत्र और 64 पीएचडी वितरित की गई हैं. इस दूरबीन से शनि, यूरेनस के छल्ले खोज गए जो ब्रह्मांड में हो रहे अध्ययन में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं. इस दौरान संपूर्णानंद दूरबीन से कई सूक्ष्म और अहम तारों की भी खोज की गई.