हल्द्वानी:उत्तराखंड अपनी लोककला, लोक संस्कृति और लोक विधाओं के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. कुमाऊं के ऐसे कई लोक गीत है जो अब धीरे-धीरे युवा पीढ़ी भूल रही है. पारंपरिक गीत संगीत को छोड़ अब युवा पीढ़ी नए प्रचलन की गीत संगीत की ओर आकर्षित हो रही है. वहीं, हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम उत्तराखंड (Team Ghuguti Jagar) की पारंपरिक लोकगीतों को संजोने का काम कर रही है. इन्हीं गीतों में कुमाऊं की प्रचलित लोक गीत भागनौल, जागर, न्यौली, छपेली गीतसहित अन्य पारंपरिक गीत को बचाने का काम कर रहा है.
अगर हम बात बैर भागनौल गीत की करें तो यह लोकगीत कुमाऊं क्षेत्र का एक अनुभूति प्रधान गीत है. इसमें प्रेम की प्रधानता रहती है. इस संगीत में मधुर एहसास के साथ मेलों में हुड़की और नगाड़ों के धुन पर गीत गाए जाते हैं. जहां दो दल प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपने गीत संगीत को एक दूसरे के ऊपर गीतात्मक रूप से प्रस्तुत करते हैं और गीत के माध्यम से अपने प्रतिद्वंदी पर हावी होकर अपनी जीत दर्ज करते हैं.
वहीं, यह लोकगीत अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. सदियों से उत्तराखंड की जागर, लोक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन अब जाकर लोक कथाएं भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है. जिस को संजोने का काम हल्द्वानी की घुघुती जागर टीम कर रही है, जो जागर की लोकगाथाएं, पारंपरिक देवी देवताओं के पूजा के दौरान जाकर करने और किसी धार्मिक अनुष्ठान तंत्र मंत्र पूजा के दौरान देवी-देवताओं का आह्वान का काम करती है.
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