रामनगर:विश्व प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में पहले नवरात्र में सुबह 4 बजे से ही लगी भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं. गर्जिया माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि नवरात्रों में गर्जिया देवी मंदिर में दर्शन करने से युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.
बता दें कि पिछले साल लॉकडाउन की वजह से नवरात्रों में भक्त माता के दर्शन नहीं कर पाये थे. इस बार कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए मंदिर और सभी धार्मिक स्थलों को भक्तों के लिए खोल दिया गया है. आज पहले नवरात्र में गर्जिया मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हो गया. भक्त सुबह 4 बजे ही नैनीताल, बाजपुर, काशीपुर, मुरादाबाद से मंदिर पहुंच गए. भक्त गर्जिया माता के जयकारे लगाते हुए भी नजर आए. भक्तों में मां गर्जिया देवी के प्रति आस्था व उत्साह देखने को मिला.
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बता दें कि गर्जिया मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा टीला था. टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता था. बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो. हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती हैं. जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं, जो गर्जिया देवी की मूल पहचान है.
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संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है. जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्तजनों के कष्टों का निवारण किया जाता है. गिरिजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर रामनगर में पड़ता है. मंदिर के मुख्य पंडित मनोज पांडे बताते हैं कि 19वीं सदी में गिरिजा माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था. बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था. साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे. तब उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई. जिसमें उनके शिष्य ने गिरिजा मां की उपासना की. महादेव गिरि एक नागा बाबा और तांत्रिक थे. जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थीं. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाही थे. इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से श्री भैरव, गणेश और तीन महा देवी की मूर्तियां को लाकर यहां स्थापित किया था.