हल्द्वानी: कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला हल्द्वानी गंदगी के पटा पड़ा है. हल्द्वानी में कूड़े का निस्तारण (garbage of Haldwani) बड़ी समस्या बन गया है. हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नेशनल हाईवे पर स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड फुल (Haldwani Trenching Ground) हो गया है और वहां कूड़े का पहाड़ बन गया है. कूड़ा अब हाईवे किनारे डाला जा रहा है.
नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए हल्द्वानी नगर निगम और जिला प्रशासन की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन इन सभी योजनाओं को पलीता लगाने का काम भी इन्हीं विभागों के अधिकारी कर रहे हैं. स्थिति ये हो गई है कि आज हल्द्वानी नगर निगम के पास कूड़ा डालने तक की जगह नहीं है. ट्रेंचिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने की जगह भी नहीं बची है. ऐसे में हाईवे पर अब शहर का कूड़ा डाला जा रहा है.
हल्द्वानी ट्रेंचिंग ग्राउंड में क्षमता से ज्यादा हुआ कूड़ा पढ़ें- देहरादून नगर निगम ने कैंट बोर्ड की दो कूड़ा गाड़ियों पर लगाया 20 लाख का जुर्माना, जानिए कारण ट्रेंचिंग ग्राउंड में करीब एक लाख टन कूड़े का ढेर पड़ा हुआ. कूड़े की दुर्गंध ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. इसके अलावा बाहर से आने वाले पर्यटकों के सामने भी हल्द्वानी की एक गलत छवि प्रस्तुत हो रही है. वहीं इस मामले पर कांग्रेस ने सरकार को घेरना भी शुरू कर दिया है. हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कूड़ा निस्तारण को लेकर कुछ समय पहले ही धरना प्रदर्शन भी किया था, लेकिन इसका भी हल्द्वानी नगर निगम पर कोई असर नहीं हुआ.
हल्द्वानी नगर निगम के मेयर डॉ योगेंद्र पाल सिंह रौतेला ने कहा कि ट्रेंचिंग ग्राउंड में क्षमता से अधिक करीब एक लाख टन से अधिक कूड़ा जमा हो गया है. अब ट्रेंचिंग ग्राउंड में कूड़ा रखने की क्षमता नहीं है. उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद हल्द्वानी के अलावा नैनीताल शहर से भी कूड़ा इसी ट्रेंचिंग ग्राउंड में पहुचता है, जहां रोजाना करीब 250 टन कूड़ा ट्रेंचिंग ग्राउंड में पहुंच रहा है. मजबूरन अब कूड़े को इधर-उधर डालना पड़ रहा है.
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मेयर डॉ योगेंद्र पाल सिंह रौतेला ने कहा कि कूड़े का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण हो सके, इसके लिए एक कंपनी से टेंडर किया गया है. कंपनी तीन करोड़ रुपए की लागत से प्लांट लगाने जा रही है, जहां वैज्ञानिक विधि से कूड़े का निस्तारण किया जाएगा.
गौरतलब है कि हल्द्वानी ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मार्च 2018 में गौलापार में वन विभाग की चार हेक्टेयर जमीन 30 वर्षों की लीज पर नगर निगम को दी थी. यहां सालिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपोस्ट प्लांट के माध्यम से कूड़े का निस्तारण होना था. कंपोस्ट प्लांट का सिविल वर्क 2020 में पूरा हो गया था. करीब 1.50 करोड़ की लागत से ट्रेंचिंग ग्राउंड की बाउंड्रीवाल, शेड हाउस, प्लांट के भीतर संपर्क मार्ग का काम कराया गया, लेकिन कंपोस्ट प्लांट के चार बार टेंडर के बाद भी कोई कंपनी नहीं मिल पाई है. बाद में पुराने कूड़े के निस्तारण व प्लांट निर्माण के लिए अलग-अलग टेंडर की अनुमति मिली, लेकिन कूड़े का निस्तारण नहीं हो पाया.
यहां तक की जुलाई माह में टेंचिंग ग्राउंड के बाउंड्री वॉल भी कई जगह से टूट कर गिर गई. ऐसे में अब ट्रेंचिंग ग्राउंड का कूड़ा हाईवे पर पड़ रहा है, जो कुमाऊं की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली हल्द्वानी की छवि को खराब कर रहा है. लेकिन सरकार और नगर निगम इस पर कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि कूड़ा शहर के लोगों के लिए मुसीबत बन गया है.