हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए मृत शरीर की कमी ना हो इसको देखते हुए 4 परिवारों ने अपने स्वजनों के मृत शरीर को कॉलेज को सौंपा है. जिससे मेडिकल के छात्र पढ़ाई कर लोगों की सेवा कर सकें. मेडिकल कॉलेज में शारीरिक अध्ययन के लिए और मृत शरीर की आवश्यकता पड़ती है, शोध के लिए मृत शरीर बेहद महत्वपूर्ण है.
सराहनीय कदम: मेडिकल की पढ़ाई में प्रैक्टिकल के लिए नहीं थी डेड बॉडी, 4 परिवारों ने सौंपे अपनों के शव
हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई के लिए हर साल 3 मृत शरीर की आवश्यकता पड़ती है. मेडिकल की पढ़ाई के लिए मृत शरीर की कमी ना हो इसको देखते हुए 4 परिवारों ने अपने स्वजनों के मृत शरीर को कॉलेज को सौंपा है.
हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग की एचओडी ऋचा निरंजन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई के लिए हर साल 3 मृत शरीर की आवश्यकता पड़ती है. इसकी कमी को पूरा करने के लिए हल्द्वानी के कुछ परिवारों ने पहल उठाते हुए मृत शरीर दान के लिए आवेदन किए थे. जिसके तहत फरवरी माह में 4 परिवारों ने अपने स्वजनों की मृत देह को मेडिकल कालेज को समर्पित किया है. जिससे मेडिकल कॉलेज के छात्रों की अच्छी पढ़ाई हो सके. हल्द्वानी के रहने वाले सूर्य प्रकाश, रामकृष्ण कोठारी, त्रिलोचन पपने और एक महिला स्वस्तिका रावत की मृत देह को परिजनों ने सौंपा है. जिससे मेडिकल कॉलेज में मृत शरीर की कमी को पूरा किया गया है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 से मेडिकल कॉलेज के लिए लोगों ने मरणोपरांत 229 लोगों के देहदान के लिए आवेदन किए हैं. जिसमें अभी तक 88 लोगों की मृत देह मेडिकल कॉलेज को प्राप्त हुई हैं. उन्होंने बताया कि कई बार लोग आवेदन करने के बाद भी परिस्थितियों के अनुसार अपने स्वजनों की मृत देह को मेडिकल कॉलेज को नहीं देते हैं. जिसके चलते कई बार मृतक देह की कमी हो जाती है. लेकिन फरवरी माह में चार मृत देह मिलने से मेडिकल कॉलेज को काफी राहत मिली है. गौरतलब है कि हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के प्रैक्टिकल के लिए मृत देह की जरूरत पड़ती है.