हल्द्वानी: उत्तराखंड की जोशीमठ में आई आपदा पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं. हर कोई जोशीमठ को बचाने की मांग कर रहा है. जोशीमठ बचाने के लिए जहां जोशीमठ संघर्ष समिति ने एनटीपीसी द्वारा चलाए जा रहे परियोजना को बंद करने की मांग की है. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने का कहना है कि उत्तराखंड के पौराणिक शहर जोशीमठ और वहां की जनता को बचाने के लिए अगर कोई प्रोजेक्ट बंद करना पड़ता है तो सरकार को इसमें कोई संकोच नहीं होना चाहिए.
Joshimath Sinking: जनता के हितों के लिए कोई प्रोजेक्ट बंद करना पड़े तो संकोच नहीं करना चाहिए: हरीश रावत
पूर्व सीएम हरीश रावत ने जोशीमठ भू धंसाव को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ की जनता परेशान है, जिनकी समस्याओं को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है. हरीश रावत ने कहा कि जनता के हितों के लिए कोई प्रोजेक्ट बंद करना पड़े तो उसे बंद करने में संकोच नहीं किया जाना चाहिए.
हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तरकाशी को बचाने के लिए 80 फीसदी काम हो चुके तीन प्रोजेक्ट को बंद कर दिए थे. अगर जोशीमठ की रक्षा के लिए कोई भी प्रोजेक्ट बंद करना पड़ता है तो सरकार को संकोच नहीं करना चाहिए. हरीश रावत ने कहा कि जोशीमठ के हालात खराब हैं, वहां की स्थिति लगातार चिंताजनक बनती जा रही है. लेकिन राज्य और केंद्र सरकार इस पूरे मामले में शिथिलता बरती जा रही है. नया जोशीमठ बसाने और वहां के लोगों को मुआवजे और उस मुआवजे में कौन लोग सम्मिलित होंगे, इस पर भी सरकार गंभीर नहीं है.
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लेकिन वहां पर हालात इतने खराब हैं कि इस आपदा से हर कोई प्रभावित हो रहा है. वहां के लोग फिजिकल और साइकोलॉजी रूप से परेशान है, जिसका निदान करना बहुत जरूरी है. लेकिन सरकार इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि संकट के इस घड़ी में कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी है. लेकिन सरकार को गंभीरता से इस मामले को लेना चाहिए, मगर केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में गंभीर नहीं हैं.वहीं इसरो की वेबसाइट से जोशीमठ की इमेज को हटाने पर हरीश रावत ने भी राज्य सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. हरीश रावत ने कहा है कि सूचनाओं के आदान-प्रदान रोकने से लोगों में और ज्यादा भ्रम और डर की स्थिति पैदा होगी. इस तरह का सरकार का निर्णय ठीक नहीं है जो सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को सूचनाओं को देने से रोक रही है.