हल्द्वानी: शहर का वन अनुसंधान केंद्र अपनी मेहनत से राज्य में बड़ी उपलब्धि हासिल कर रहा है. अनुसंधान केंद्र में हिमालय की जड़ी बूटियों के साथ-साथ जैव विविधता पर भी रिसर्च हो रहा है. केंद्र में 150 से अधिक विलुप्त हो चुकी वनस्पति और पौधों के प्रजातियों पर पिछले 10 साल से रिसर्च चल रहा है. अनुसंधान केंद्र में पहाड़ के अंतिम गांव माणा से लेकर देश के कोने-कोने के वनस्पति और पौधों पर रिसर्च किया जा रहा है.
यह वन अनुसंधान केंद्र उत्तर भारत में विलुप्त हो रही वनस्पतियों और पौधों के संरक्षण के मामले में मुकाम हासिल करने वाला पहला वन अनुसंधान केंद्र है. यहां दुर्लभ और औषधि वनस्पतियों का भंडार है. वन अनुसंधान केंद्र हिमालय, मैदानी बंजर और जलीय औषधि वनस्पतियों को बचाने के साथ- साथ जैव विविधता एवं पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभा रहा है. वहीं, वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट का कहना है कि वन अनुसंधान केंद्र में जैव विविधता के साथ-साथ धार्मिक महत्व के पौधे और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले पौधों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
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