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प्रभु राम के जीवन को बयां कर रही कुमाऊं में बनी देश की पहली रामायण वाटिका

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वन अनुसंधान केंद्र ने रामायण वाटिका का स्थापना किया है. रामायण वाटिका में वनस्पतियों के माध्यम से भगवान रामचंद्र की जीवनी को दर्शाया गया है.

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हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

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Published : Jul 14, 2020, 9:09 PM IST

Updated : Aug 4, 2020, 1:12 PM IST

हल्द्वानी: पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वन अनुसंधान केंद्र ने प्रभु श्री राम की जीवनी दर्शाते हुये देश की पहली रामायण वाटिका की स्थापना की है. इस वाटिका में वनस्पतियों के माध्यम से भगवान रामचंद्र की जीवनी को दर्शाया गया है. वाटिका में भगवान वाल्मीकि की मूर्ति की भी स्थापना की गई है, जिसमें बाल्मीकि रामायण में उल्लेख किए गए महत्वपूर्ण पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों के प्रजातियों का संरक्षण करने का काम किया गया है, जिसके तहत वन अनुसंधान केंद्र ने रामायण काल से जुड़े 40 वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम किया है.

हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

मुख्य वन संरक्षक और अनुसंधान केंद्र के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वन अनुसंधान केंद्र लगातार विलुप्त हो रहे वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम कर रहा है, जिसके चलते रामायण वाटिका की स्थापना की गई है.

हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना
हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

रामायण वाटिका के माध्यम से भगवान रामचंद्र के जीवनी से आधारित वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम किया गया है. वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित 140 प्रजातियों में मुख्य रूप से 40 प्रजातियों को अनुसंधान केंद्र में संरक्षित करने का काम किया है. इसमें महत्वपूर्ण पेड़, जड़ी-बूटियों और झाड़ियों की प्रजातियों का रोपण किया गया है.

हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना
बनाया गया है अशोक वाटिका.

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इसमें सीता, अशोक, चंदन, रतन चंदन, ब्राह्मी, साल, शगुन, पीपल और नागकेसर जैसी वनस्पतियां शामिल हैं. रामायण वाटिका के माध्यम से बताया गया है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्री राम अयोध्या से लंका तक की इस यात्रा में भारतीय उपमहाद्वीप के वनों से होकर गुजरे थे.

द्रोणगिरी पर्वत की भी दिखेगी झलक.
शबरी ने खिलाए थे बेर.

वाटिका के माध्यम से द्रोणागिरी पर्वत का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि मेघनाथ से युद्ध में लक्ष्मण के प्राण घातक वार में घायल होने पर वैद्य शुसेंण के निर्देश पर हनुमान जी संजीवनी बूटी खोज कर लाए थे, जहां आज भी संजीवनी बूटी के साथ कई औषधि प्रजाति शामिल हैं.

रामायण वाटिका में है चित्रकूट का भी जिक्र.

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इस वाटिका में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट का भी जिक्र किया गया है, जिसमें वनवास के दौरान श्री राम ऋषि भारद्वाज से मुलाकात कर वनों में निवास किया था. वाटिका में आदिवासी महिला शबरी का भी जिक्र है, जो शबरी भगवान श्रीराम को अपना झूठा बेर खिलाई थी और बेल को सभी फलों में पवित्र फल माना जाता है.

हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

किष्किंधा के राजा सुग्रीव से पहली मुलाकात वीर हनुमान की हुई थी, जब वीर हनुमान सीता को ढूंढने निकले थे और वहां पाई जाने वाली मुख्य वनस्पतियों का जिक्र वाटिका में किया गया है.

वन अनुसंधान केंद्र के निदेशक संजीव कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि वाटिका को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जैव विविधता को बचाने के अलावा संरक्षण और संवर्धन करना है.

Last Updated : Aug 4, 2020, 1:12 PM IST

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