हल्द्वानी: फायर सीजन शुरू होने के साथ ही वन विभाग और वन विकास निगम की चुनौतियां बढ़ गई है. तापमान बढ़ने के साथ ही जहां वन विभाग वनाग्नि की रोकने के जतन करने में जुटा है, वहीं वन विकास निगम करीब 300 करोड़ रुपए की बेशकीमती लकड़ियों को बचाने में जुटा है. उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फायर सीजन का कहलाता है. इस दौरान जंगलों की आग की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती है.
ऐसे में वन विकास निगम का प्रयास है कि लकड़ी डिपो को आग से बचाया जाए. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि फायर सीजन देखते हुए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. वन विकास निगम के अलग-अलग डिपो में करोड़ों रुपए की बेशकीमती लकड़िया पड़ी हुई है. लकड़ियों की आग से सुरक्षा के लिए अतिरिक्त हर कर्मचारियों की भी तैनाती की गई है, जिससे आग की घटनाओं को तुरंत रोका जा सके. इसके अलावा सभी अग्निशमन यंत्र को दुरुस्त कर मॉक ड्रिल पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है.
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क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि कुमाऊं मंडल के छह लकड़ी डिपो के अंतर्गत करीब 85 हजार घन मीटर से अधिक की लकड़ियां पड़ी हुई, जिसकी कीमत करीब 300 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है, जिससे आग से बचाना विभाग के लिए चुनौती भी है. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम का कहना है कि लकड़ियों को आग से बचाने के लिए जहां अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था है. इसके साथ ही लकड़ियों का इंश्योरेंस भी किया गया है जिससे कि आग लगने के दौरान होने वाली क्षति की भरपाई की जा सके. लकड़ी डिपो के अंतर्गत बेशकीमती लकड़ियां हैं, जिनकी सुरक्षा करना विभाग की पहली प्राथमिकता है.