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रामनगर में वन विभाग ने 3 सालों में लगाए 5 लाख 22 हजार पौधे - रामनगर में मिश्रित प्रजाति को बढ़ावा

वन प्रभाग तराई पश्चिमी रामनगर ने पिछले 3 सालों में 5,22,000 से ज्यादा मिश्रित पौधे लगाए. जिनमें 4,65,000 से ज्यादा पौधे आज जीवित हैं.

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मिश्रित पौधे

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Published : Aug 27, 2021, 10:20 AM IST

Updated : Aug 27, 2021, 10:45 AM IST

रामनगर:वन प्रभाग तराई पश्चिमी के जंगलों से यूके लिपटिस प्रजाति (UK Lipitis ) के जंगल को समाप्त कर उनके जगह पर मिश्रित प्रजाति के जंगलों को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके चलते वन प्रभाग तराई पश्चिमी रामनगर ने पिछले 3 सालों में 5,22,000 से ज्यादा मिश्रित पौधे लगाए.

बता दें कि, तराई चार प्रभागों में 7,137 हेक्टेयर में फैला हुआ है. चार वन प्रभागों में पश्चिमी व्रत के तराई केंद्रीय, तराई पश्चिमी वन प्रभाग, तराई केंद्रीय वन प्रभाग और वन प्रभाग में यूके लिपटिस के जंगल है. जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए अब वन विभाग जंगलों में मिश्रित वनों को लगा रहा है. वन प्रभाग तराई पश्चिमी ने पिछले 3 सालों में तराई के जंगल में बेल, हरड़, बहेड़ा, जामुन, अर्जुन, पीपल, बरगद, बांस, कचनार, शीशम, खैर, हल्दु, कंजी, गुडेल, सेमल, आंवला आदि के मिश्रित वन लगाए हैं. इसके अलावा जलवायु में उगने वाले पौधे भी रोपे गए हैं. केंद्र सरकार जैव विविधता के लिए मिश्रीत प्रजाति के जंगलों को बढ़ावा दे रही है.

रामनगर में वन विभाग ने 3 सालों में लगाए 5 लाख 22 हजार पौधे.

तराई पश्चिमी ने पिछले 3 सालों में 981 हेक्टेयर भूमि में 5,22,000 पौधे रोपे है, जिनमें 4,65,000 से ज्यादा पौधे आज जीवित हैं. इस विषय में जानकारी देते हुए रामनगर वन प्रभाग तराई पश्चिमी के डीएफओ बलवंत सिंह साही ने बताया कि उनके द्वारा वर्ष 2018 में 238 हेक्टेयर भूमि में 1,19,000 से ज्यादा पौधे रोपे गए. जिनमें आज 80 प्रतिशत पौधे जीवित है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 20 में उनके द्वारा 387 हेक्टेयर भूमि में 2,25,000 से ज्यादा पौधे रोपे गए. जिनमें 90 प्रतिशत पौधे आज जीवित है. वहीं उन्होंने बताया कि 2020-21 में उनके द्वारा 356 हेक्टेयर भूमि में 1,78,000 मिश्रित पौधे रोपे गए. जिन में आज 100 प्रतिशत पौधे जीवित है.

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उन्होंने कहा कि इन मिश्रित वनों से शाकाहारी वन्य जीव जंगलों में ही भरपूर भोजन मिलने से आबादी की तरफ रुख नहीं करेंगे. जिससे इनके पीछे इनके शिकार के लिए मांसाहारी जानवर भी इनके पीछे आबादी की तरफ नहीं आएंगे. उन्होंने कहा इससे कहीं न कहीं मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में भी कमी देखी जाएगी. जब शाकाहारी वन्य जीवों को जंगल के अंदर ही भरपूर भोजन मिलेगा तो वह आबादी की तरफ रुख नहीं करेंगे. जिससे इनके पीछे मांसाहारी जानवर भी आबादी की तरफ नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि मिश्रित वनों को लगाने से जैवविविधता के बढ़ावे के साथ ही शाकाहारी व वन्यजीवों को उनके वास्थलों में ही भोजन की कमी नहीं होगी.

Last Updated : Aug 27, 2021, 10:45 AM IST

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