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उत्तराखंड के इस जिले में बनी पहली सोलर घड़ी, जानिए इसकी खासियत

रामनगर में राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली और समाज सेवा में शिक्षा समिति कोटद्वार के सहयोग से चार दिवसीय विज्ञान प्रचार प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में पहली सोलर घड़ी बनाई गई.

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रामनगर में चार दिवसीय विज्ञान प्रचार प्रसार कार्यशाला

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Published : Dec 30, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Dec 30, 2021, 8:27 PM IST

रामनगर: राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली और समाज सेवा में शिक्षा समिति कोटद्वार के सहयोग से चार दिवसीय विज्ञान प्रचार प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में पहली सोलर घड़ी बनाई गई. घड़ी के माध्यम से पृथ्वी की परिधि मापी गई. साथ ही शिक्षकों को सौर घड़ी बनाना भी सिखाया गया.

इस दौरान वैज्ञानिक दीपक शर्मा ने एक अनोखा प्रयोग किया. इस कार्यशाला में उन्होंने पृथ्वी से सूर्य की दूरी नापी. वैज्ञानिक दीपक शर्मा ने सौर घड़ी बनाने की तकनीक समझाई. दीपक शर्मा ने महीने की आकृति के साथ शिक्षकों को खड़ा करके उनकी परछाई के माध्यम से समय को ज्ञात करने की तकनीक भी बताई. इसके साथ ही महाविद्यालय में कार्यशाला में प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रकार के नए प्रयोग भी किए, जिसमें इलेक्ट्रोस्कोप, साइंस मोग्राफ बनाना, ध्वनि तरंगों का घनत्व नापना जैसे प्रयोग किए गए.

रामनगर में पहली सोलर घड़ी

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बता दें वैज्ञानिक दीपक शर्मा दुनिया के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने शुक्र पारगमन के दौरान पृथ्वी से सूरज की दूरी नापी थी. वैज्ञानिक दीपक शर्मा को कई बार राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा भी गया है. वैज्ञानिक दीपक शर्मा ने प्रतिभागियों को भविष्य में किस प्रकार उन्हें अपने कार्य की रूपरेखा तैयार करनी है, किस प्रकार उन्हें अपने छात्रों को पढ़ाना है, खेल-खेल में विज्ञान कैसे सिखाना है, इसके बारे में विस्तार से बताया.

क्या होता है शुक्र पारगमन: जिस प्रकार पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चंद्रमा के आने पर सूर्यग्रहण की स्थिति निर्मित होती है, उसी प्रकार अन्य ग्रह भी पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आते हैं, परंतु वे पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण आकार में छोटे दिखाई देते हैं और सूर्य को ढंक नहीं पाते और एक बिंदु के समान सूर्य की छाया से गुजरते हुए दिखाई पड़ते हैं, इसे ही पारगमन कहते हैं.

क्या होती है सोलर घड़ी:सोलर घड़ीका प्रयोग सूर्य की दिशा से समय का ज्ञान करने के लिए किया जाता था. इन घड़ियों की कार्यशैली और क्षमता दिन के समय तक सीमित होती थी क्योंकि यह रात के समय काम नहीं कर पाती थीं. फिर भी विश्व में समय जानने हेतु सबसे पहले इनका प्रयोग किया गया.

Last Updated : Dec 30, 2021, 8:27 PM IST

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