हल्द्वानी: दूसरों को जीवन देने वाला अस्पताल कई बार आग की भेंट चढ़ जाता है. जिसके चलते कई लोगों की जिंदगी खत्म हो जाती हैं. देश के कई अस्पतालों में आग की घटनाएं भी सामने आई हैं. जहां अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते कई लोगों की आग के चलते मौत भी हो चुकी है. इसी को मद्देनजर ईटीवी भारत द्वारा हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल, बेस अस्पताल और महिला चिकित्सालय के अलावा कुछ निजी अस्पतालों में फायर सेफ्टी की पड़ताल की गई. शहर के करीब 50 निजी और सरकारी अस्पतालों द्वारा अग्नि समय सुरक्षा के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिया गया है.
तीमारदारों की सुरक्षा भगवान भरोसे. ईटीवी द्वारा कुमाऊं को सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल की अग्नि सुरक्षा व्यवस्था की जायजा ली गई, तो वहां पर अग्नि समय सुरक्षा को लेकर अस्पताल प्रशासन द्वारा दावा किया गया है कि अग्नि सुरक्षा के मद्देनजर 50 हजार लीटर के वाटर टैंक और पाइप लाइन बिछाई गई है. जिससे की आग लगने के दौरान आग पर नियंत्रण किया जा सकें. साथ ही समय-समय पर अग्निशमन को लेकर ट्रेनिंग भी दिलाई जाती है, जबकि अस्पताल के हर वार्ड और भीड़-भाड़ वाले जगह पर फायर सिलेंडर लगाए गए हैं. जिससे की समय रहते आग पर नियंत्रण पाया जा सके.
इस दौरान ईटीवी भारत ने वहां पर अग्नि सुरक्षा के जायजा लिया. इस दौरान पाया गया कि सिलेंडर तीन दिसंबर को एक्सपायर हो चुके हैं. ऐसे में अगर आग लगती है तो क्या यह सिलेंडर काम करेंगे. यह बड़ा सवाल है. अस्पताल के प्राचार्य चंद्रप्रकाश भैसोड़ा का कहना है कि अस्पताल में सभी अग्नि सुरक्षा चाक चौबंद है. एक्सपायर सिलेंडर को जल्द बदलने की कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, हल्द्वानी के बेस अस्पताल में अग्निशमन सुरक्षा राम भरोसे चल रही है. यहां पर न ही फायर वाटर टैंक है, न ही फायर लाइन बिछाई गई है, अग्निशमन सिलेंडर पिछले कई सालों से धूल फांक रहे हैं, और न ही इनको बदला गया है. जबकि, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि जिला प्रशासन द्वारा उनको बजट उपलब्ध कराया गया है, जल्द ही फायर सेफ्टी को लेकर नए सिलेंडर लगाने की व्यवस्था की जा रही है.
ये भी पढ़ें :छात्र-छात्राओं ने अपर सचिव का किया घेराव, मांगे पूरी नहीं होने पर दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
हल्द्वानी के महिला अस्पताल में भी फायर सुरक्षा पूरी तरह से चाक-चौबंद है. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ, ऊषा जंगपांगी ने बताया कि अग्नि सुरक्षा के मद्देनजर 10 हजार लीटर का वाटर टैंक और पाइप लाइन बिछाई गई है. जिससे की आग की घटना के दौरान आग पर काबू पाया जा सके. इसके अलावा केमिकल आग के नियंत्रण के लिए भी अतिरिक्त फायर सिलेंडर रखे हुए हैं, और समय-समय पर इन सिलेंडरों की जांच की जाती है. कर्मचारियों की ट्रेनिंग दिलाई जाती है.
उन्होंने बताया कि बेस अस्पताल में 35 सिलेंडर मौजूद है जो एक्सपायर होने से पहले उनको भरवा लिया जाता है, यही नहीं अग्निशमन के अधिकारी समय-समय पर आकर सुरक्षा की जायजा लेते हैं जिसके बाद और फायर एनओसी प्रमाण पत्र हासिल है.
ये भी पढ़ें :पहाड़ में दम तोड़ती खेती से किसान मायूस, सरकार से लगाई मदद की गुहार
मुख्य अग्निशमन अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि हल्द्वानी शहर अंतर्गत 46 जबकि रामनगर में 4 निजी और सरकारी हॉस्पिटल है. जिनके पास अग्निशमन का एनओसी उपलब्ध है. समय-समय पर इन अस्पतालों का निरीक्षण किया जाता है और खामियां पाए जाने पर इन को नोटिस जारी कर जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि किसी भी अस्पताल में अग्नि सुरक्षा मानक पूर्ण रहे हैं. कई आने की स्थिति में जिलाधिकारी को कार्रवाई के लिए पत्र भेजते हैं. जिसके बाद जिला अधिकारी अपने स्तर से उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं.